लखनऊ (ब्यूरो)। वर्तमान समय की बात करें तो गोमती नदी में सात अनटैप्ड नाले गिर रहे थे। जिसकी वजह से अक्सर गोमा का पानी काले रंग में तब्दील हो जाता था। कई बार तो स्थिति इतनी खराब हो जाती थी कि गोमा के आसपास से गुजरने वाले लोगों को पानी से बदबू तक आती थी। इस मामले को खुद एनजीटी ने खासा गंभीरता से लिया था और नगर निगम समेत कई विभागों को स्थिति में सुधार लाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने के निर्देश भी दिए थे।

कई बार प्रयास, नतीजा सिफर
गोमा में गिर रहे नालों को रोकने के लिए कई बार प्रयास तो हुए लेकिन नतीजा सिफर रहा। कई स्थानों पर नालों को टैप भी किया गया, बावजूद इसके नालों का पानी गोमा में गिरता हुआ नजर आया। जिसकी वजह से गोमा का पानी स्वच्छ नहीं हो सका।

ये हैैं सात अनटैप्ड नाले
गोमा में गिरने वाले सात अनटैप्ड नालों की बात की जाए तो इसमें बैरीकला, फैजुल्लागंज, सहारा सिटी, गोमती नगर ड्रेन, गोमती नगर विस्तार, घैला ड्रेन शामिल है। उक्त नालों का गंदा पानी किसी न किसी रूप में सीधे गोमती में गिर रहा था।

नालों से होता डिस्चार्ज
नाला डिस्चार्ज ऑफ ड्रेन
बैरीकला 0.65
फैजुल्लागंज 11.58
सहारा सिटी 8.68
गोमती नगर ड्रेन 29.6
गोमतीनगर विस्तार 5.4
घैला ड्रेन 6.01
(डिस्चार्ज आंकड़े एमएलडी में हैैं)

अब ये तकनीकी का दिखेगा असर
नगर निगम की ओर से काफी पहले योजना बनाई गई थी कि अनटैप्ड नालों पर बायोरेमेडिएशन विधि से जल शोधन का कार्य किया जाएगा। कोविड के चलते तत्काल इसे इंप्लीमेंट नहीं किया जा सका लेकिन अब इस टेक्निक को शुरू कर दिया गया है। जिसके पॉजिटिव रिस्पांस भी सामने आ रहे हैैं।

इन नालों पर भी टेक्निक यूज
अभी तो पहले चरण में अनटैप्ड नालों पर इस टेक्निक को यूज में लाया गया है लेकिन अब ऐसे नालों पर भी इसे इंप्लीमेंट करने की तैयारी की जा रही है, जो आंशिक रूप से टैप्ड हैैं। इन नालों में अक्सर ओवरफ्लो की समस्या सामने आती है।

ये हैैं आंशिक टैप्ड नाले
नाले डिस्चार्ज ऑफ ड्रेन
नगरिया ड्रेन 16.18
सरकटा नाला ए एंड बी 28.87
पाटा नाला 15.57
वजीरगंज नाला 41.41
कुकरैल नाला 72.0
जीएच कैनाल नाला 207.27
(डिस्चार्ज आंकड़े एमएलडी में हैैं)

एक माह तक चला ट्रायल
इस टेक्निक को पूरी तरह से इंप्लीमेंट करने से पहले करीब एक माह तक ट्रायल भी चला है। ट्रायल के बाद सामने आए परिणामों के आधार पर ही इस टेक्निक को टैप्ड और आंशिक टैप्ड नालों पर इंप्लीमेंट किए जाने संबंधी निर्णय लिया गया है।

यह है बायोरेमेडिएशन विधि
इसे जैव उपचार तकनीकी कहा जाता है। इसे नालों में इंप्लीमेंट किया जाता है। इसके अंतर्गत नालों के मुंह पर जाली लगाने के साथ ही छोटे-छोटे ऐसे पौधे लगाए जाते हैैं, जो गंदगी को एब्जॉर्व कर लेते हैैं। जिससे पानी फिल्टर हो जाता है। इसके बाद साफ पानी सीधे नदी में गिरता है।


गोमती नदी में प्रवाहित हो रहे अनटैप्ड नालों पर बायोरेमेडिएशन विधि से जल शोधन का कार्य शुरू करा दिया गया है। जिसके बेहतर परिणाम भी सामने आए हैैं।
अजय कुमार द्विवेदी, नगर आयुक्त