- विभिन्न खेलों में यूज होने वाले खेल उपकरणों के दामों में आया उछाल
- महंगाई को देखते हुए players पीछे खीच रहे कदम
-- Stadium में प्रैक्टिस करने के लिए आने वाले खिलाडि़यों की संख्या में गिरावट दर्ज
sanjeev.pandey@inext.co.in
LUCKNOW: खेल में अब करियर बनाना आसान नहीं है। गेम्स में यूज किए जाने वाले इक्यूपमेंटस एंड आइटम्स के दामों में हो रही बेतहाशा बढ़ोतरी होने से तमाम खिलाडि़यों के सचिन और साइना बनने के सपनों पर ग्रहण लग रहा है। पिछले तीन साल में ही तमाम खेल उपकरणों में लगभग दोगुने का अंतर आ गया है। ऐसे में कई जगह तो खिलाड़ी खेल की शुरुआत करने के बाद इसके खर्चे को देखते हुए अपने कदम पीछे खींच लेते हैं। क्रिकेट की दुनिया हो या फिर टेनिस वर्ल्ड, हर जगह महंगाई छाई हुई है।
हद हो गई
राजधानी में स्पोर्ट्स जगत से जुड़े आइटम्स का कारोबार करने वाले व्यापारियों की माने तो हर साल दाम में 100 से 200 रुपए का ही अंतर होता था, लेकिन पिछले तीन सालों में इसका मार्केट तेजी से बढ़ा है। फिर समर वेकेशन शुरू होने से पहले ही दामों में इजाफा होता है। हमें भी इतनी महंगाई होने की उम्मीद नहीं थी। नवाबों की नगर में क्रिकेट, बैडमिंटन और टेनिस बेहद लोकप्रिय है। इन खेलों में यूज होने वाले आइटम्स के प्राइज तो दोगुने हो गए हैं।
गेंद कहां से जाएं?
तीन साल पहले तक जिस बैट की कीमत एक हजार (प्रैक्टिस बैट) रुपए थी वह बैट आज दो हजार का है। खास बात यह है कि बैट तो एक बार परचेज करने के बाद चार-पांच साल तो चलता है कि लेकिन इसी खेल में यूज होने वाली लेदर की बॉल रेग्यूलर प्रैक्टिस करने पर तीन दिन बाद ही खराब हो जाती है। 200 की बॉल आज 400 में है। ऐसे में बॉल का खर्चा अफोर्ड करना आसान नहीं होता है।
दोगुने हुए दाम
बैडमिंटन के ग्लैमर वर्ल्ड में भी कुछ ऐसा ही हाल है। बैडमिंटन के एक रैकेट जहां डेढ़ सौ रुपए का बिकता था। तीन साल पहले उसकी कीमत 250 रुपए हो गई थी, वही आज 500 रुपये में बेचा जा रहा है। टेनिस रैकेट में भी दोगुने का अंतर है।
घट गई खिलाडि़यों की संख्या
केडी सिंह बाबू स्टेडियम में क्रिकेट कोच शहनवाज ने बताया कि हर साल समर वेकेशन में दो सौ खिलाड़ी यहां पर रजिस्ट्रेशन कराते हैं। लेकिन धीरे-धीरे वह मैदान छोड़ देते हैं। उन्होंने बताया कि स्पोर्ट्स आइटम्स कॉस्टली हो रहे हैं। बैडमिंटन के कोच कौशल ने बताया खेल के लिए बने सरकारी संस्थान और कॉलेज में तो खर्चा सरकार ही उठाती है, लेकिन जो खिलाड़ी यहां नहीं हैं। उनका अलग रहकर प्रैक्टिस करना आसान नहीं होता है। उन्हें अपने इक्यूपमेंट्स की व्यवस्था खुद ही करनी होती है।
स्पोर्ट्स की दुनिया में अब करियर बनाना आसान नहीं है। विभिन्न खेलों में यूज होने वाले आइटम्स के दामों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में कई बार लोकल कैम्प में आने वाले तमाम प्लेयर्स कुछ दिन बाद ही खेल छोड़ देते हैं।
अनिल बनौधा
डिप्टी डायरेक्टर, यूपी स्पोर्ट्स डायरेक्ट्रेट
तीन साल पहले नहीं थी इतनी महंगाई
आइटम तीन साल पहले (रु.) आज की कीमत (रु.)
बैट क्000 ख्000
बैडमिंटन रैकेट भ्00 क्000
टेनिस क्रिकेट बाल ब्0 म्0
लॉन टेनिस बाल भ्0 80
लॉन टेनिस का रैकेट ख्000 ब्000
वॉलीबॉल 800 क्ख्00
फुटबॉल ब्भ्0 900
बास्केटबॉल भ्00 800
हैंडबॉल ख्भ्0 भ्00
एथलेटिक किट (टीशर्ट और नेकर, प्रति पीस)- क्भ्0 फ्00
एथलेटिक स्पाइक शू प्रति पीस- ब्00 800
हॉकी फाइबर प्रति पीस- फ्7भ् 700
ग्रेफाइट हॉकी प्रति पीस- ख्000 फ्000
हॉकी बॉल प्रति पीस- ख्00 फ्00
क्रिकेट की बॉल प्रति पीस-ख्00 ब्00
क्रिकेट का शूट एक जोड़ी-क्ख्00 क्800
स्पाइक शू एक जोड़ी-क्800 फ्000
वार्म अप शू एक जोड़ी-ब्00 700
शटल कॉक एक दर्जन-म्00 क्ख्00