लखनऊ (ब्यूरो)। नई शिक्षा नीति के तहत कोर्सों में बदलाव के बाद शहर की यूनिवर्सिटी पीएचडी ऑर्डिनेंस में एनईपी के तहत बदलाव कर रही हैं। एलयू में नए दाखिले पीएचडी ऑर्डिनेंस के तहत लिए जाने हैं, इसको लेकर जल्द ही संशोधित ऑर्डिनेंस को पास कराने की तैयारी की जा रही है। एलयू ने दिव्यांगों के लिए दस साल की पीएचडी से लेकर रेगुलर पीएचडी को पार्ट टाइम करने तक के कई बिन्दुओं को पीएचडी में शामिल किया है। लखनऊ यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे स्टूडेंट्स की दूसरे या तीसरे साल में नौकरी लग जाने पर उसे रेजिडेंस पूरा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह आसानी से अपनी रेगुलर पीएचडी को पार्ट टाइम पीएचडी में बदल सकेगा। एलयू अपनी संशोधित पीएचडी ऑर्डिनेंस में इसको शामिल करने पर विचार कर रहा है। इसको संशोधित पीएचडी ऑर्डिनेंस तैयार करने वाली कमिटी के सामने रखा जाएगा। विवि

रेजिडेंस पूरा करने पर होती थी दिक्कतें

पीएचडी के समय नौकरी लग जाने पर शोधार्थी को दो साल का रेजिडेंस पीरियड पूरा करना पड़ता था। ऐसे में उनको काफी समस्याएं आती थीं। इसको लेकर स्टूडेंट्स ने डीन स्टूडेंट वेलफेयर को सूचित भी किया था। दिक्कतों के बाद पीएचडी में इस बिन्दु को शामिल करने की बात चल रही है। विवि के एक्सपर्ट का कहना है कि आईआईटी धनबाद समेत कई संस्थानों में इस तरह की व्यवस्था की गई है।

दो विकल्प देने की भी तैयारी

एलयू की संशोधित पीएचडी ऑर्डिनेंस में दो विकल्प भी दिए जा रहे हैं। इसके तहत चार साल के ग्रेजुएशन व एक साल के पीजी के बाद या चार साल के ग्रेजुएशन को 75 फीसदी से अधिक अंक लाने पर प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होने का मौका मिलेगा।

दिव्यांग 10 साल में करेंगे पीएचडी पूरी

एलयू के संशोधित ऑर्डिनेंस में दिव्यांगों को पीएचडी पूरा करने के लिए 10 साल का समय दिया जाएगा। आठ की जगह 12 क्रेडिट का प्रावधान किया जा रहा है। इसके लिए शोधार्थियों को रिसर्च का पेपर पढ़ाया जाएगा। एक विदेशी परीक्षक की भी व्यवस्था की बात की जा रही है।

एकेटीयू में भी बदलाव की तैयारी

एकेटीयू भी पीएचडी ऑर्डिनेंस में बदलाव कर रहा है। प्रति कुलपति मनीष गौड़ ने बताया कि सहायक प्रो व सह प्रोफेसर स्तर पर अधिकतम पीएचडी रजिस्टर्ड छात्रों की संंख्या बढ़ाकर 4 व 6 की जाएगी। इसके अलावा लगातार तीन आरडीसी बैठकों में गैरहाजिर रहने वाले स्टूडेंट्स का पंजीकरण रद्द किया जाएगा। महिला शोधार्थियों को 240 दिनों का मातृत्व अवकाश एक बार में देय होगा। ऐसी महिला शोधार्थियों को पीएचडी थीसिस जमा करने के लिए निर्धारित अधिकतम सीमा में एक साल की छूट दी जाएगी।