- नगर निगम प्रशासन की योजनाओं का नहीं दिख रहा असर

- जनवरी से शुरू होने जा रहा स्वच्छता सर्वेक्षण, फिर रैंकिंग पर पड़ सकता असर

LUCKNOW

शहर को स्वच्छता की पटरी पर लाने के लिए निगम प्रशासन की ओर से एक से बढ़कर एक योजनाएं बनाई गईं। कई इंप्लीमेंट भी हुईं, फिर भी शहर स्वच्छता की पटरी पर नहीं दौड़ सका। स्मार्ट शहर को गंदगी मुक्त बनाने के लिए निगम प्रशासन के प्रयास तो जारी हैं लेकिन जनवरी से शुरू होने जा रहे स्वच्छता सर्वेक्षण की परीक्षा में एक बार फिर रैंकिंग में गिरावट का खतरा मंडरा रहा है।

योजनाओं की स्थिति

1-डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन

योजना- शत प्रतिशत घरों से कूड़ा कलेक्शन करने का लक्ष्य

स्थिति- 50 फीसदी घरों से नहीं उठता कूड़ा

2-ओपन डंपिंग सेंटर्स

योजना- कहीं भी खुले में न फेंका जाए कूड़ा

स्थिति- 150 से अधिक ओपन डंपिंग प्वाइंट्स शहर में

3-वाट्सएप पिक्चर्स

योजना- रोजाना सुबह अधिकारी मौके पर जाकर सफाई व्यवस्था की फोटो खींचकर उक्त वाट्स एप नंबर पर भेजेंगे

स्थिति- दो माह चली योजना, फिलहाल मामला ठंडे बस्ते में

4-पब्लिक फीडबैक

योजना- घर-घर जाकर पब्लिक से सफाई व्यवस्था का फीडबैक लेना था

स्थिति-अभी तक किसी भी जोन में व्यवस्था नहीं शुरू हुई

5-डंपिंग प्वाइंट्स पर सीसीटीवी

योजना- खुले में कूड़ा फेंकने वालों पर नजर रखने को जगह-जगह सीसीटीवी लगाए जाने की योजना

स्थिति- फिलहाल योजना पर काम जारी है, इंप्लीमेंट में लगेगा समय

6-घर के दरवाजे पर डिवाइस

योजना- नियमित घरों से कूड़ा उठ रहा है या नहीं, इसके लिए घरों के बाहर बार कोड लगाने की तैयारी थी

स्थिति- इस व्यवस्था के लिए फिलहाल करना होगा इंतजार

7-डस्टबिन

योजना- प्रमुख मार्गो, मार्केट एरिया में डस्टबिन

स्थिति-काम तो हुआ लेकिन कई जगह डस्टबिन लापता

8- नियमित सफाई

योजना- मार्केट एरिया व प्रमुख मागों पर शाम को भी सफाई की व्यवस्था

स्थिति- नियमित सफाई नहीं हो रही

9-टायलेट्स

योजना- प्रमुख प्वाइंट्स पर टायलेट्स की व्यवस्था

स्थिति- टॉयलेट की व्यवस्था तो हुई लेकिन जागरुकता के लिए प्रचार प्रसार नहीं

10- आवारा जानवर

योजना- शहर को आवारा जानवरों की समस्या से मुक्त करना

स्थिति- अभियान चल रहा, डेयरियां भी हटाई जा रहीं

बस 50 दिन का समय

स्वच्छता सर्वेक्षण के शुरू होने में 50 से 60 दिन का समय बाकी है। ऐसे में निगम को जल्द इन सभी योजनाओं की स्थिति में सुधार लाना होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो एक बार फिर से सर्वेक्षण में शहर की रैंकिंग पर असर पड़ सकता है।

इन योजनाओं पर काम जारी

1-गंदगी फैलाने वालों पर ड्रोन से नजर

2-सड़क पर पान मसाला थूकने वालों पर जुर्माना

3-मलबा फेंकने वालों पर जुर्माना

4-कूड़े में आग लगाने वालों पर नजर

5-नाले-नालियों को साफ रखना

6-ऑनलाइन गंदगी की शिकायत की सुविधा

मॉनीटरिंग का अभाव

निगम प्रशासन की ओर से योजनाएं तो बनाई जाती हैं लेकिन ज्यादातर सफल नहीं होती हैं। वजह यह है कि योजनाओं की मॉनीटरिंग के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। शुरुआती दो से तीन माह तक तो असर दिखता है फिर स्थिति जस की तस हो जाती है।

शहर को स्वच्छता की पटरी पर लाने के लिए कई योजनाओं पर काम जारी है। स्थिति में खासा सुधार आया है। जो भी कमियां हैं, उन्हें दूर किया जा रहा है। उम्मीद है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में इस बार शहर की रैंकिंग में सुधार होगा।

डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, नगर आयुक्त

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आखिर किन कारणों से नगर निगम की योजनाएं सफल नहीं होती हैं