लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ यूनिवर्सिटी के नए पीएचडी ऑर्डिनेंस में पीएचडी की थीसिस में क्वालिटी लाने के लिए कई काम किए जा रहे हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए एलयू ने थीसिस की क्वालिटी मेनटेन रखने और चोरी के कंटेंट से बचने के लिए हर विभाग के लिए स्क्रीनिंग कमेटी बनाई है। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार संशोधित पीएचडी ऑर्डिनेंस तैयार किया जा रहा है। हर विभाग में कंटेंट की चोरी रोकने के लिए कमिटी बनाई जाएगी जिसमें तीन लोगों को शामिल किया गया है। वे थीसिस की ठीक से जांच करेंगे। इसके अलावा इंटरनेट से कंटेंट कॉपी करने के लिए भी स्क्रीनिंग की जाएगी।

तीन दिन में देनी होगी रिपोर्ट

इस कमेटी को तीन दिन में थीसिस की स्क्रीनिंग कर रिपोर्ट देनी होगी। साथ ही सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके स्क्रीनिंग की जाएगी। इस तरह से न केवल ऑथेंसिटी बरकरार रहेगी, स्टूडेंट्स को भी नाहक दौड़ना नहीं पड़ेगा।

59 साल से अधिक उम्र केटीचर नहीं बनेंगे सुपरवाइजर

एलयू अपने पीएचडी ऑर्डिनेंस में एक और बिंदु जोड़ने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत 59 साल से ऊपर के टीचर्स पीएचडी नहीं करा सकेंगे। इसके अलावा रिचर्स एडवाइजरी कमेटी बनाने की बात की गई है, जिससे स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम का समाधान किया जा सके।

स्टूडेंट्स ने जाना ग्लेशियरों का महत्व

लखनऊ यूनिवर्सिटी में सोमवार को जलवायु असंतुलन और सतत जीवन पर एक विशेष व्याख्यान हुआ। इस दौरान डॉ। अनीता भटनागर जैन, पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्य वक्ता रहीं। वहीं, आरएमएलए विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी और एलयू के लोक प्रशासन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। हैप्पी थिंकिंग लेबोरेटरी की निदेशक प्रोफेसर मत्रेयी प्रियदर्शिनी ने मेहमानों का स्वागत किया। परामर्श और मार्गदर्शन सेल की निदेशक डॉ। वैशाली सक्सेना ने दर्शकों को विषय के बारे में जानकारी दी। डॉ। अनीता भटनागर जैन ने ग्लेशियरों के महत्व और जलवायु परिवर्तन पर इसके प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने जल वार्तालाप और ग्रीन हाउस प्रभाव पर जोर दिया। प्राकृतिक संसाधनों के न्यायिक उपयोग की वकालत की। उन्होंने कुछ स्लाइड शो और एक लघु फिल्म भी प्रस्तुत की। प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने जलवायु परिवर्तन सतत विकास पर अपने विचार साझा किये।

चर्चा के बाद प्रश्नोत्तर सत्र हुआ

प्रोफेसर एम प्रियदर्शिनी ने भी अपने विचार साझा किए और छात्रों को पानी बचाने और प्राकृतिक संसाधनों का न्यायिक उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। मौके पर प्रोफेसर मधुरिमा प्रधान, प्रोफेसर नाजनीन, डॉ। विनीत डेविड, डॉ। अभिषेक जयसवाल, डॉ। रुचि, डॉ। परिधि और अन्य संकाय अध्यक्ष व स्टूडेंट्स मौजूद रहे।