लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में बड़े नालों की संख्या तो 88 है लेकिन छोटे नालों की संख्या 932 है। जिससे खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनकी सफाई होना कितना जरूरी है। इसी तरह मझोले नालों की संख्या 500 से अधिक है। अगर मझोले और छोटे नालों की सफाई नहीं होती है तो बारिश में जलभराव होना तय है।

कोई मॉनीटरिंग सिस्टम नहीं

बड़े नालों की सफाई के दौरान तो वीडियोग्राफी आदि कराई जाती है लेकिन मझोले और छोटे नालों की सफाई के दौरान इस तरह के कोई कदम नहीं उठाए जाते हैैं। जिससे मझोले और छोटे नालों की सफाई में लापरवाही बरती जाती है। मझोले और छोटे नालों की सफाई पर नजर रखने के लिए फिलहाल कोई मॉनीटरिंग सिस्टम नहीं है।

सालों से नाले की सफाई नहीं

नगर निगम के अंतर्गत घनी आबादी वाले बुद्धेश्वर वार्ड में साकेत पुरी मोहल्ला है। यहां पर भी गहरा नाला है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई सालों से उक्त नाले की सफाई नहीं हुई है। जिसकी वजह से बारिश होते ही नाला ओवरफ्लो हो जाता है और एरिया में रहने वाले लोगों को जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ता है।

रीडर ने बयां किया दर्द

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के अभियान से जुड़े रीडर्स भी अपने-अपने एरिया के नालों की समस्या शेयर कर रहे हैैं। रीडर्स की ओर से मांग की जा रही है कि उनके यहां भी नालों की सफाई कराई जाए, जिससे जलभराव की समस्या न हो। इस प्रकार की कंपलेन आ रहीं।

कई सालों से नाले की सफाई नहीं हुई है। जिससे बारिश होने पर जलभराव की समस्या सामने आती है। इसको लेकर नगर निगम अधिकारियों से कई बार कंपलेन भी की गई लेकिन अभी तक नाले की सफाई का कार्य शुरू नहीं कराया गया है।

दीपक गुप्ता

नाले की सफाई का कार्य जल्द से जल्द शुरू कराया जाना चाहिए। जिससे लोगों को राहत मिल सके। स्थिति यह है कि नाला पूरी तरह से कूड़े से पट चुका है, जिससे बीमारियां फैल सकती हैैं।

राजीव गुप्ता

नाले की सफाई के लिए कई बार प्रयास किए गए लेकिन अभी तक इस तरफ किसी ने भी ध्यान नहीं दिया है। नाला सफाई न होने से लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

राकेश जायसवाल