- लंबी बीमारी के बाद 82 वर्ष की आयु में निधन

- राजधानी के साहित्यकारों में फैली शोक की लहर

LUCKNOW: मशहूर लेखक व वरिष्ठ साहित्यकार मुद्राराक्षस का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया वो 82 वर्ष के थे। साहित्य की दुनिया मुद्रा राक्षस को बेबाकी से अपनी बात कहने वाला किरदार कहती है। सांप्रदायिकता, जातिवाद, महिला उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दों पर अपने ज्वलंत विचार जाहिर करने वाले मुद्रा राक्षस हाल ही में मोदी सरकार पर भी सवाल उठाने से नहीं कतराए थे। मुद्रा राक्षस के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है। इससे पहले भी तबीयत खराब होने पर उन्हें करीब हफ्ताभर हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था। दोबारा सोमवार को फिर दोपहर में उनकी तबीयत ख़राब हो गई, जिसके बाद उनके बेटे रोमी उन्हें लेकर केजीएमयू गए, लेकिन रास्ते में ही उनका निधन हो गया।

सिक्कों से तौलकर किया था सम्मान

21 जून, 1933 को लखनऊ के बेहटा गांव में जन्मे मुद्रा राक्षस अकेले ऐसे लेखक थे, जिनका जन संगठनों ने सिक्कों से तौलकर सम्मान किया था। उन्हें 'शूद्राचार्य' और 'दलित रत्‍‌न' जैसी उपाधियां प्रदान की गईं थीं। मुद्राराक्षस को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था। 1951 से ही मुद्रा राक्षस ने कहानी, कविता, उपन्यास, आलोचना, नाटक, इतिहास, संस्कृति और समाज शास्त्रीय क्षेत्र जैसी अनेक विधाओं में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उनकी 65 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी कई किताबों का अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं में अनुवाद हुआ।

आकाशवाणी को दीं 15 साल सेवाएं

मुद्रा राक्षस 15 सालों से भी ज्यादा समय तक वे आकाशवाणी में एडिटर (स्क्रिप्ट्स) और ड्रामा प्रोडक्शन ट्रेनिंग के मुख्य इंस्ट्रक्टर रहे। वह कई सामाजिक आंदोलनों से भी जुड़े रहे। उन्होंने हाल ही में मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये सरकार देश को हिन्दू राष्ट्र बनने पर तुली है।

रचनाएं

आला अफसर, कालातीत, नारकीय, दंडविधान, हस्तक्षेप। नयी सदी की पहचान व श्रेष्ठ दलित कहानियां (संपादन), सरला, बिल्लू और जाला।