मेरठ (ब्यूरो)। जैन चेतना फोरम हाउस द्वारा असौड़ा हाउस स्थित जैन मंदिर में मुनिश्री ज्ञानानंद महाराज को 108 श्रीफल भेंट किए गए। इस अवसर पर सदस्यों ने श्रीफल चढ़ाकर वंदन किया। इस अवसर पर महाराज ने कहा कि जिस स्थान पर जिनेंद्र भगवान की प्रतिमा की स्थापना की जाती है उसे मंदिर या जिनालय कहते है। जिनालय में तीर्थंकर भगवान की प्रतिमा इसलिए विराजमान करते हैं कि सम्यकदर्शी के होने के लिए जिनबिम्ब दर्शन जरूरी है। जिनेंद्र भगवान के दर्शन करने से मन पवित्र होता है, पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि मंदिर समवसरण का प्रतीक होता है। क्योंकि जहां पर तीर्थंकर भगवान बैठकर उपदेश देते है उसे समवसरण कहते हैं।

पाप त्यागने का संदेश
मुनिश्री ने कहा कि मंदिर में जिनेंद्र भगवान की प्रतिमा हमें मौनपूर्वक हिंसा आदि पाप त्यागने और क्षमा आदि धर्म को धारण करने का उपदेश देती है। मंदिर में प्रवेश करते समय निस्स्हि, निस्सहि, निस्सहि तीन बार इसलिए बोला जाता है, कि भगवान के समक्ष कोई अदृश्य देवगण व श्रावक दर्शन कर रहे हों तो वे मुझे दर्शन के लिए स्थान दें। इस अवसर पर फोरम के संस्थापक पंकज जैन सर्राफ व संरक्षक योगेश जैन अरहंत प्रकाशन वालों ने कार्यक्रम से पूर्व जैन चेतना फोरम के छोटा सा परिचय दिया। महाराज श्री ने जैन चेतना फोरम के प्रत्येक सदस्य को आर्शीवाद दिया।

इनका रहा सहयोग
कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष अक्षत जैन सर्राफ, महामंत्री आलोक जैन रत्नमाला, मंत्री सोनिया जैन, सुशील जैन डेरी वाले, सुधीर जैन खद्दर वाले, शालू जैन, बबिता जैन, सारिका जैन, नीशू जैन, देवेंद्र जैन आदि मौजूद रहे।