एक जमाना था जब इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए मारामारी रहती थी। पर अब कॉलेजों के सामने एडमिशन की चिंता है। एक-एक छात्र के लिए कॉलेजों को तरसना पड़ रहा है। आमतौर पर बीटेक की एक साल की फीस 80 हजार से एक लाख रुपए तक होती है। पर इस बार एडमिशन के संकट से जूझ रहे कॉलेजों ने फीस से समझौता कर लिया है। कई कॉलेज 30 से 40 हजार रुपए सालाना फीस में बीटेक करा रहे हैं।

सीट लॉकिंग

यूपीएसईई- 2011 की काउंसिलिंग शुरू हो चुकी है। सीट लॉकिंग का प्रोसेस जारी है। कॉलेजों को पता चल गया है कि सीटें भरने वाली नहीं हैं। काउंसिलिंग के फस्र्ट फेज में केवल 32 हजार छात्रों ने डॉक्यूमेंट वेरिफाई कराए हैं। जबकि 75 हजार सीटों के लिए काउंसिलिंग हो रही है। इसके मायने ये हैं कि सीटें दुगनी हैं और अभ्यर्थी कम। यूपीटीयू ने सभी कॉलेजों की अलग-अलग फीस तय की है। किसी ने 70 हजार फीस तय कराई है तो किसी 90 हजार। लेकिन इस सत्र में संस्थानों की हालत ये हो गई है कि वो फीस के साथ समझौता कर रहे हैं। इसकी कई वजहें हैं।

क्या वजह है

छात्रों का इंजीनियरिंग के प्रति रुझान तो कम हुआ है। इसकी वजह छात्रों के साथ हुआ धोखा है। चार साल कड़ी मेहनत से बीटेक करने के बाद भी छात्र नौकरी के लिए तरस रहे हैं। अगर नौकरी मिल भी रही है तो सैलरी बहुत कम है। ऐसे में कुछ प्रतिशत छात्र ही सर्वाइव कर पा रहे हैं। इंजीनियरिंग कॉलेजों ने भी हंड्रेड परसेंट प्लेसमेंट का ख्वाब दिखाकर छात्रों को धोखा ही दिया है।

50 परसेंट से कम नहीं

वहीं, इस दफा एआईसीटीई ने बीटेक के लिए 12वीं पीसीएम में 45 प्रतिशत अंक अर्हता तय की थी। ये कॉलेजों के दबाव के चलते ही की गई थी। कॉलेजों को पहले ही अंदेशा था कि इस बार छात्रों का रुझान कम रह सकता है। लेकिन एमटीयू ने इस पर पानी फेर दिया। एमटीयू ने इस आदेश को नहीं माना। इंटर पीसीएम में 50 परसेंट ही अर्हता रखी गई है।

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