सीसीएस यूनिवर्सिटी में अक्टूबर में होने वाले हैं चुनाव।

- पूर्वाचल के छात्रों का रहता है दबदबा।

Meerut। सीसीएस यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव में संगठन अपने नफा नुकसान को समझकर ही इसबार अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारना चाहते हैं। समाजवादी छात्र सभा ने पूर्वाचल के छात्रों पर ही जीत का ही हिसाब लगाया है। वहीं पैनल में इसबार संगठन सभी जातियों के साथ यह भी ख्याल रख रहीं हैं कि जाति और पूर्वाचल का कंबिनेशन जिस उम्मीदवार के साथ है वहीं बेहतर रहेगा। खासतौर पर सपा तो पूर्वांचल पर ही दांव खेलने वाली है। वहीं इसके दोनों प्रतिद्वंदी संगठन एबीवीपी व एनएसयूआई भी इसी आंकड़े को देखते हुए निर्धारित तिथि पर चुनाव कराने की सिफारिशें लगा रही हैं।

बढ़े हैं पूर्वांचल के छात्र

इसबार पूर्वाचल के छात्रों की संख्या बढ़ने से चुनावी समीकरण बदलने की संभावना है। छात्रसंघ चुनाव में जाति के गणित लगाने की जगह छात्र नेताओं के सामने पूर्वाचल के वोटों को भी अपनी ओर करना चुनौती हो सकता है। क्योंकि अभी क्लासेज न शुरु होने की वजह से पूर्वाचल के अधिकतर स्टूडेंट्स घर ही है। चुनाव के नजदीक आने तक वो पार्टियों के उम्मीदवारों को पहचान नहीं पाएंगे तो कैसे वोट करेंगे।

पूर्वांचल के छात्रों का सहारा

सपा छात्र सभा पूर्वाचल कार्ड खेलते हुए जीत दर्ज करती आई है। पिछले चार साल से चुनावों में तीन सालों से लगातार जीत हासिल कर चुके हैं। 2014 में सपा से महामंत्री व कोषाध्यक्ष दोनो ही पूर्वाचल के थे। वहीं 2013 में भी अध्यक्ष पद के लिए राजदीप विकल खुद पूर्वाचल के थे जो जीते थे। 2012 में महामंत्री पद पर अनुज भाटी की जीत भी पूर्वाचल के सहारे हुई थी। इससे पिछले साल भी सपा से एक दो कैंडिडेट पूर्वाचल के होने की वजह से जीत पाए थे। इसबार भी उम्मीद है कि सपा पूर्वाचल वाले को ही उम्मीदवार बनाएगी।

ये है यूनिवर्सिटी के आंकड़े

्रकैंपस में 15 सौ से अधिक बीटेक व प्रोफेशनल कोर्स के स्टूडेंट्स है। जिनके एग्जाम खत्म वो घर जा चुके हैं। ऐसे में घर जा चुकें इलेक्शन के समय नहीं रहेंगे। वहीं एससी की पांच सौ, गुर्जरों व जाटों की तीन-तीन सौ वोट हैं। वहीं मुस्लिम छात्रों की करीब दो सौ, ठाकुरों की भी दो सौ ही वोट हैं। वहीं ब्राहमण व वैश्य की वोट करीब छह सौ हैं।

-------------------

हमे जातिवाद पर चुनाव नहीं करना है, लेकिन यह बात ठीक है कि पूर्वाचल का स्टूडेंट यूनिवर्सिटी में ज्यादा है।

राजदीप विकल, पूर्व अध्यक्ष, सपा छात्र सभा, यूनिवर्सिटी

हमने चुनाव की तैयारी शुरु कर दी है। कहां से कितने वोट मिलने है इसके आंकड़े तो सभी को लगाने होते हैं। कैंडिडेट को उतारने से पहले इसकी नॉलेज होनी चाहिए।

अंशुल गुप्ता, एबीवीपी

हम तो छात्रों के हित के ही उम्मीदवार चुनने का प्रयास करते हैं। जातिवाद की राजनीति से हमारा कोई मतलब नहीं है।

अवनिश काजला, एनएसयूआई