लड़कियों की ऑनलाइन एजुकेशन में परेशानी

मोबाइल फोन न मिलने से हो रही पढ़ाई से दूर

एक ही फोन होने की वजह से झेल रही भेदभाव

केस-1 घर में एक ही फोन

आठवीं कक्षा की स्टूडेंट रिया ऑनलाइन क्लास समय से नहीं कर पा रही थी। टीचर ने अब कई बार वजह पूछी तो पता चला की घर में एक ही फोन है और पहले भाई अपनी क्लास करने के लिए फोन का प्रयोग करता है।

केस-2 भाई को तरजीह

अमृता की भी यही कहानी है। बीए कर रहे भाई की क्लास मिस न हो जाएं इसकी वजह से घर वाले उसे ऑनलाइन क्लास नहीं करने देते हैं। बाद में टीचर या दूसरे स्टूडेंटृस से नोट्स लेकर अमृता अपनी पढ़ाई करती है।

केस-3 मिस हो जाती है क्लास

राधा के घर में भी एक ही मोबाइल फोन है। घरवाले दूसरा फोन खरीदने की स्थिति में नहीं हैं। बड़े भाई और उसकी क्लास एक ही समय पर होती है इसलिए राधा की क्लास भी अधिकतर मिस हो जाती है।

Meerut। लड़कियों की एजुकेशन या उनको आत्मनिर्भर बनाने को लेकर भले ही तमाम योजनाएं चलाई जा रही हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है। जिले में ऐसी तमाम लड़कियां हैं जो घर में रहकर बेटा-बेटी के भेदभाव को झेल रही हैं। रिया, अमृता और राधा तो इस कड़ी में उदाहरण भर हैं।

टीचर्स कर रही काउंसलिंग

कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेज होने की वजह से ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में अधिकतर इस तरह की समस्याएं आ रही हैं। ऑनलाइन क्लास में अटेंडेंस कम होने की वजह से टीचर्स अब स्टूडेंट्स की काउंसलिंग के दौरान इस तरह के खुलासे हो रहे हैं। स्कूल प्रिंसिपल्स का कहना है कि इस तरह का भेदभाव अभी भी काफी बडे़ स्तर पर देखने को मिल रहा है। टीचर्स लड़कियों के पेरेंट्स को समझाने का भी काफी प्रयास करती हैं लेकिन नतीजे कुछ खास नहीं मिल रहे हैं।

60 प्रतिशत लड़कियां झेल रही परेशानी

ऑनलाइन क्लासेज के दौरान भेदभाव की ये दिक्कत करीब 60 प्रतिशत लड़कियां झेल रही हैं। अधिकतर समस्या कन्या इंटर कॉलेजों में आ रही है। माध्यमिक परिषद के ग्रामीण इलाकों के साथ ही शहरी इलाकों के स्कूलों में ये स्थिति है।

छूट जा रही पढ़ाई

ऑनलाइन क्लास के लिए घरों में एक ही फोन होने की वजह से कोरोना काल में कई लड़कियों की पढ़ाई भी छूट रही हैं। स्कूल प्रिंसिपल बताते हैं बीते दो साल में कोरोना वायरस का असर बच्चों की पढ़ाई पर व्यापक स्तर पर हुआ है। कई स्टूडेंट्स की तो पढ़ाई छोड़ने की नौबत तक आ चुकी है। काम-धंधे बंद होने की वजह से पेरेंट्स फीस की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। यहां भी ल़ड़कियां भेदभाव का शिकार हो रही हैं।

हमारे स्कूल में ऐसी काफी लड़कियां हैं जो घर में इस तरह के भेदभाव का शिकार हैं और पढ़ाई से दूर हो रही हैं। एक ही मोबाइल होने की वजह से पेरेंट्स पहले बेटे की पढ़ाई पर जोर देते हैं।

डा। नीरा तोमर, प्रिंसिपल, श्री मल्हू सिंह आर्य कन्या इंटर कॉलेज

स्कूल में बच्चियों के साथ इस तरह की समस्याएं आ रही हैं। हालांकि हमारी पूरी कोशिश रहती हैं कि किसी भी तरह से उनकी पढ़ाई का नुकसान न हो। इसके लिए टीचर्स उनकी पूरी मदद करती हैं।

नीलम सिंह, प्रिंसिपल, चावली देवी कन्या इंटर कॉलेज