-आरटीओ ने सभी स्कूली बसों में स्पीड मापक यंत्र होने के दिए आदेश

-पुरानी बसों में भी स्पीड गवर्नर लगने के बाद ही मिलेगा फिटेनस सर्टिफिकेट

आई एक्सक्लूसिव

sunder.singh@inext.co.in

Meerut: सभी स्कूल संचालकों को आरटीओ ने आदेश दिए हैं कि हर स्कूल बस में स्पीड गवर्नर होना जरूरी है। साथ ही विभाग को भी निर्देश जारी किए हैं कि बिना स्पीड मापक यंत्र लगी नई गाड़ी का रजिस्ट्रेशन न किया जाए। इसके अलावा पुरानी गाड़ी को भी फिटनेस सर्टिफिकेट तभी मिलेगा जब उसमें स्पीड गवर्नर लगा होगा।

करते हैं नियमों की अनदेखी

आरटीओ में 273 स्कूली वाहन रजिस्टर्ड हैं, जबकि शहर में स्कूली वाहनों की संख्या 500 से ज्यादा है, जिनके वाहन चालक खुलकर नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आ जाएंगे। जिसके चलते दिन प्रतिदिन स्कूली वाहनों में हादसे बढ़ रहे हैं। विभागीय जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा हादसे ओवर स्पीड होने की वजह से होते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग ने स्कूली बसों में स्पीड गवर्नर लगवाने की योजना बनाई है।

ओवर लोडिंग की समस्या

बच्चों को मानकों से दोगुनी संख्या में वाहनों में बैठाया जा रहा है। इससे भी चिंताजनक ये है कि सुप्रीम कोर्ट व परिवहन आयुक्त की सख्ती के बाद भी स्कूल वाहनों को गैस से चलाया जा रहा है। ये वाहन इतने पुराने हैं कि कहां खराब हो जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है। आरटीओ की ओर से स्कूली वाहनों के लिए आठ नियमों का सख्ती से पालन करने के निर्देश हैं। लेकिन स्कूल संचालक और वाहन चालक को किसी नियम की परवाह नहीं है।

ये हैं नियम

- स्कूल वाहन में अग्नि शमन यंत्र जरूरी है।

-पंजीकृत सीट क्षमता से अधिक बच्चे नहीं बैठाए जाएंगे।

-स्कूल वाहन गैस से नहीं चलाया जाएगा।

-वाहन फ‌र्स्ट एड बॉक्स रहना जरूरी है।

-वाहन में प्रेशर हार्न प्रतिबंधित है।

- वाहन में स्कूली बच्चों, चालक परिचालक के अलावा अन्य सवारी नहीं बैठाई जाएगी।

- वाहन 40 किमी प्रति घंटा की स्पीड से ज्यादा नहीं चलाया जाएगा।

- स्कूल वाहन 15 साल से पुराना नहीं होना चाहिए।

वर्जन

सभी स्कूल संचालकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि बिना स्पीड गवर्नर लगे वाहन न चलाए जाएं। साथ ही विभाग भी ऐसे वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी न करे। यदि नियमों का उलंघन हुआ तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

-ममता शर्मा, आरटीओ, मेरठ

ऐसे करेगा स्पीड गवर्नर काम

स्पीड गवर्नर वाहन के मेन मीटर से कनेक्ट होगा, जिसकी स्पीड लिमिट होगी। यह चालक द्वारा रेस देने पर गाड़ी को स्पीड लिमिट से बाहर नहीं जाने देगा। इन्हे समय-समय पर आरटीओ टीम द्वारा चेक भी किया जाएगा।

स्कूली वाहनों से हुआ हादसे

-नवंबर 2015 में गोकुलपुर काली नदी के निकट स्कूली बस खाई में पलट गई थी। जिसमें 15 स्कूली छात्र घायल हो गए थे।

-मई 2015 में ज्यादा बच्चे बैठाने के चलते टेम्पो पेड़ से टकरा गया था। जिसमें 18 बच्चे बाल-बाल बचे थे।

- अगस्त 2014 को स्कूली बच्चों से भरी बस मवाना रोड़ पर खाई में जा गिरी थी। जिसमें दर्जनों बच्चे घायल हो गए थे।