- कॉलेजों में क्राइम का रूप लेती जा रही है रैगिंग

- कॉलेजों में रैगिंग के लिए कोई स्पेस नहीं होना चाहिए

Meerut । रैगिंग को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका पेरेंट्स और टीचर की हो सकती है। वह अपने बच्चों को समझाए कि स्कूल में पढ़ाई पर ध्यान दें और अपने जूनियर सम्मान करें। छोटे से प्यार से बोले और स्कूल व कॉलेज में उसकी मदद करें।

क्राइम बन रही रैगिंग

स्कूल व कॉलेज में होने वाली रैगिंग धीरे-धीरे क्राइम का रूप लेती जा रही है। पहले भी रैगिंग होती थी। लेकिन तब हंसी-मजाक होता था। कोई भी सीनियर छात्र किसी को टार्चर नहीं करता था। जूनियर व सीनियर के बीच सम्मान का भाव होता था।

छात्रों में अवेयरनेस जरूरी

रैगिंग को रोकने के लिए छात्रों में जागरुकता लानी होगी। उनको समझाना होगा कि रैगिंग का मतलब केवल एक दूसरे का परिचय प्राप्त करना होता है। उसके बारे में जानकारी करना होता है। किसी को सताना नहीं होता है।

रैगिंग को रोकने के लिए यूजीसी ने कई महत्वपूर्ण नियम व कानून बनाया है। जिससे रैगिंग पर काफी हद तक रोक लगी है। अब मां बाप को सर्टिफिकेट देना होगा कि वह कॉलेज में रैगिंग नहीं करेगा। उसी के बाद बच्चे का एडमिशन होगा।

-डॉ। अश्रि्वनी गोयल, प्रिंसीपल शहीद मंगलपांडे डिग्री कॉलेज

रैगिंग को रोकने के लिए अभिभावकों की जिम्मेदारी लेनी होगी। बच्चों को समझाना होगा कि कॉलेज में केवल पढ़ाई पर ध्यान दे। किसी भी जूनियर की रैगिंग न करे। अपने बच्चे को घर में संस्कार देने चाहिए। उसके गलत काम पर उसको तुरंत टोकना चाहिए।

-डॉ। रागिनी प्रताप, प्रिंसीपल कनोहर लाल महिला डिग्री कॉलेज

रैगिंग रोकने के लिए यूजीसी ने बच्चों को प्लेट फार्म दिया है। टोल फ्री नंबर है, शिकायत करने के लिए एक वेबसाइट भी है यूजीसी की। लेकिन इसमें अभिभावकों को जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों को घर में संस्कार देना चाहिए।

-डॉ। किरन प्रदीप, विभागाध्यक्ष ललित कला विभाग, कनोहर लाल महिला डिग्री कॉलेज

सीनियर और जूनियर्स में एक बार परिचय जरूर होना चाहिए। लेकिन जब कॉलेज शुरू हो तब। इसमें टीचर्स की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इससे सारी चीज नार्मल हो जाती हैं। ऐसा करने से कॉलेज में कभी रैगिंग भी नहीं होगी।

-संजीत पटेल, अध्यक्ष छात्रसंघ सीसीएसयू

पहले रैगिंग में सीनियर्स जूनियर्स से हंसी मजाक करते थे। लेकिन अब इसका रूप बदल गया है। यदि कोई सीनियर रैगिंग के नाम पर किसी को पनिशमेंट करता है तो गलत है। रैगिंग के लिए किसी भी कॉलेज में कोई स्पेस नहीं होना चाहिए।

-परिवंद्र सिंह, अभिभावक

स्कूल के बाद कॉलेज में रैगिंग शुरू होती है। स्कूल में किसी प्रकार की रैगिंग नहीं होती है .इसीलिए स्कूल टाइम से यदि बच्चों को समझाया जाए तो कॉलेज में कभी रैगिंग नहीं होगी। बच्चों को रैगिंग का मतलब समझ में आ जाएगा।

-सुरेश सिंह, अभिभावक

रैगिंग आज के समय में कॉलेज में वर्चस्व की लड़ाई हो गई है। छात्र किसी भी बात को अपने मान सम्मान पर ले जाते है। उसी मान सम्मान में रैगिंग क्राइम का रूप ले लेती है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। सीनियर व जूनियर को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए।

वासू, छात्र नेता

रैगिंग को रोकने के लिए सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। परिवार से इसकी शुरूआत होती है। इसके बाद टीचर, फिर प्रिंसिपल और कॉलेज की अनुशासन समिति को अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

-सुमित कुमार, छात्र नेता

रैगिंग सीनियर को जूनियर्स से मिलाने का एक तरीका है। न की किसी को परेशान करना होता है। लेकिन पहले से काफी कम रैगिंग हो गई है। यूजीसी और सुप्रीम कोर्ट से इस पर काफी हद तक रोक लगी है। कॉलेजों को नियम को कड़ाई से लागू करना चाहिए।

-राहुल कुमार, छात्र नेता