यूजीसी ने दिया कॉलेजों व यूनिवर्सिटीज को निर्देश।

प्रोफेसर, असिसटेंट प्रोफेसर के लिए बनाया नया नियम

Meerut कॉलेजों व यूनिवर्सिटीज में कार्यरत असिसटेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर को कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रमोशन के लिए अब अलग- अलग एकेडमिक के परफोर्मेस इंडेक्स अंक हासिल करने होंगे। इसी के आधार पर अब कॉलेजों व यूनिवर्सिटीज में प्रमोशन किया जाएगा।

प्रोफेसर के होंगे 60 अंक

असिस्टेंट प्रोफेसर को डायरेक्ट टीचिंग के लिए 70 व एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर को 60-60 अंक मिलेंगे। इसी तरह परीक्षा ड्यूटी व टीचिंग में इनोवेशन के लिए भी अलग-अलग अंक निर्धारित होंगे। यूजीसी ने कॉलेजों व यूनिवर्सिटीज में शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति व शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षकों, अकादमिक स्टॉफ की यूनिवर्सिटीज व कॉलेजों में नियुक्ति संबंधित न्यूनत्तम अर्हताएं व उच्च शिक्षा में मानकों के अनुरक्षण संबंधित उपायद्ध विनियम 2016 लागू कर दिया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि टीचिंग की संख्या में कमी आने लगी थी। कॉलेजों के प्रोफेसरों के समय से स्टूडेंट्स को इसका फायदा मिलेगा। साथ ही इससे उन्हें सुविधा मिलेगी व ज्यादा से ज्यादा समय प्रोफेसर से मिलेगा।

समय कर दिया है तय

राजपत्र प्रकाशित होने के बाद रेगुलेशन 11 जुलाई 2016 से लागू हो चुका है। इस रेगुलेशन के लागू होने के बाद प्रोफेसर व एसोसिएट प्राफेसर को प्रति सप्ताह 14 -14 घंटे और असिस्टेंट प्रोफेसर को 16 घंटे की क्लास लेना अनिवार्य हो गया है। नया नियम लागू होने पर उसका फायदा छात्र-छात्राओं को मिलेगा। ज्यादा क्लासेस लगेंगी तो पढ़ाई भी अच्छी होगी।

ऐसे होगी रिपोर्ट तैयार

कॉलेजों व यूनिवर्सिटीज में इस रिपोर्ट को बनाने का पूरा जिम्मा स्टूडेंट्स को दिया जाएगा। इसके तहत हर छह मंथ में स्टूडेंट्स से ऑनलाइन फीडबैक मांगा जाएगा। जिसमें स्टूडेंट्स को बताना होगा कि किस सब्जेक्ट के किस टीचर ने सप्ताह भर में क्या पढ़ाया है। सिलेबस से पूरे सप्ताह में कौन से टॉपिक्स पढ़ाए। इसी कराए गए सिलेबस के हिसाब से यूजीसी तय करेगा कि क्या वास्तव में टीचर ने टाइम के अनुसार पढ़ाया है या नहीं।

इसका असर परीक्षा परिणाम में भी दिखाई देगा। साथ ही यह नई व्यवस्था प्रोफेसर की भी सीआर बनाने में मददगार साबित होगा। यूजीसी ने बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

-प्रो। एनके तनेजा, वीसी, सीसीएसयू