-नगर स्वास्थ अधिकारी ने मामले का संज्ञान ले बैठाई जांच

-सफाई कर्मचारियों के फर्जी हस्ताक्षरों पर लाखों के भुगतान का है मामला

Meerut: नगर निगम में राशिकरण के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े मामले में इंक्वायरी सेट अप हो गई है। नगर स्वास्थ अधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उसकी बारीकी से जांच करने का आश्वासन दिया है। उधर, नगर आयुक्त ने भी फर्जीवाड़े में शामिल कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है।

आईनेक्स्ट ने उठाया था मामला

नगर निगम में रिटायर्ड सफाई कर्मचारियों के फर्जी हस्ताक्षरों पर राशिकरण के नाम पर लाखों का भुगतान किया जा रहा था। आईनेक्स्ट की टीम ने जानकारी की तो तीन मामले पूरी तरह से फर्जी पाए गए, जिसको ख्म् मई के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। निगम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रकरण में जांच कराने का निर्णय लिया है।

फर्जीवाड़े की जद में अपने और पराए

दरअसल, राशिकरण कराने के लिए रिटायर्ड कर्मचारी को मेडिकल कराने के लिए सीएमओ दफ्तर जाना होता है। हालांकि कर्मचारी के मेडिकल के लिए निगम का पेंशनर बाबू ही लेटर जारी करता है। यहीं से फर्जीवाड़े की शुरुआत होती है। मूल कर्मचारी के स्थान पर कोई तीसरा व्यक्ति उस लेटर को लेकर अपना मेडिकल कराता है और मेडिकल प्रमाण पत्र पेंशनर बाबू के यहां सबमिट कर देता है। इस प्रमाण पत्र के आधार पर कर्मचारी का भुगतान कर दिया जाता है। यहां सवाल यह है कि न तो मेडिकल टीम ही निगम कर्मचारी की बारीकी से जांच करती है और न ही पेंशनर बाबू ही चेक जारी करते समय कर्मचारी के दस्तावेजों की जांच करता है।

क्या है राशिकरण

सफाई कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद जरूरत पड़ने पर अपनी पेंशन का चालीस परसेंट सरकार को पंद्रह वर्ष के लिए मोर्गेज रख उसके सापेक्ष से लोन उठा लेते हैं। बाद में यह लोन कर्मचारियों की पेंशन में से कटता रहता है। इस प्रक्रिया को दफ्तरी भाषा में राशिकरण कहा जाता है।

राशिकरण के नाम पर हुआ फर्जीवाड़ा गंभीर बात है। मामले की जांच कराई जा रही है। प्रकरण में शामिल कर्मचारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। प्रेम सिंह, नगर स्वास्थ अधिकारी निगम

पूरे मामले को निष्पक्ष तरीके से दिखवाया जाएगा। गड़बड़ी निकलने पर शामिल लोगों पर कार्रवाई तय।

एसके दुबे, नगर आयुक्त मेरठ