- गंगा में जल न्यूनतम स्तर पर पहुंचा
- एक माह से लगातार चल रहा मात्र 600 क्यूसेक पानी
Hastinapur : देश की सबसे बड़ी नदी गंगा में जल अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। भयंकर गर्मी ने नदियों के साथ साथ खेती की भी नमी कम कर दी है। जिससे आम जनमानस, किसानों समेत पर्यावरणविदों के चेहरे पर भी ¨चता की लकीर खींच गई हैं। साथ ही गंगा नदी में विचरण करने वाले जलीय जीवों के जीवन पर भी संकट मंडरा गया है।
पानी हुआ कम
राजा भगीरथ ने अपने पुरखों की आत्मा की शांति के लिए गंगा मैया व भगवान शिव की प्रार्थना की। तब गंगा का अवतरण भगवान शिव की जटाओं से होते हुए पृथ्वी पर हुआ। अनादि काल से गंगा झरझर बहती चली आ रही और भारतवासियों के पाप, संताप हरती हुई उनके लिए मोक्षदायिनी बनी हुई है। परंतु इस वर्ष गंगा मैया खुद अपने जीवन को बचाने के लिए जूझ रही है। अब देखना है कि गंगा को बचाने के लिए कौन भगीरथ बनकर आगे आएगा।
पांच वर्षो से हो रहा कम पानी
गत पांच वर्षो के सरकारी आंकड़ों के अनुसार गंगा नदी का जलस्तर इस समय अधिकांश छह से आठ हजार क्यूसेक पानी का जलस्तर रहता है। परंतु इस वर्ष गंगा नदी में करीब एक माह से मात्र 600 क्यूसेक पानी चल रहा है। अप्रैल में बढ़ती गर्मी से गंगा का जलस्तर इतना नीचे चला गया अभी तो तपती, चिलचिलाती गर्मी के मई और जून माह बाकी है। गंगा नदी में घटते जलस्तर को देखकर ¨सचाई विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों में भी हड़कंप मचा है। बिजनौर बैराज के अवर अभियंता मनोज त्रिवेदी ने बताया कि पिछले कई वर्षो में गंगा नदी का जलस्तर छह से आठ हजार क्यूसेक तक रहा.इस वर्ष जलस्तर इतना कम होना ¨चता का विषय है। उन्होंने यह भी बताया कि सर्दी के मौसम में बारिश न होना भी इसका मुख्य कारण है।
- ये है गत वर्षो की स्थिति
आंकड़े क्यूसेक में
अप्रैल 2011 - 6909
अप्रैल 2012 - 620
अप्रैल 2013 - 1235
अप्रैल 2014 - 4307
अप्रैल 2015 - 7752
अप्रैल 2016 - 600
- जलीय जीव संकट में
गंगा नदी में जलस्तर कम होने जलीय जीवों के जीवन पर भी संकट मंडराता दिखाई दे रहा है। डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी संजीव यादव ने बताया कि डाल्फिन को विचरण करने के लिए गहरे पानी की आवश्यकता होती है। सेंचुरी के मेरठ क्षेत्र में कुछ माह पूर्व की गई गणना में डाल्फिन कच्ी संख्या काफी अच्छी पाई गई थी। वहीं घड़यिाल, कछुआ आदि को भी पानी कम होने से उनके जीवन पर संकट मंडरा रहा है।
- बिन पानी खेत भी सूखे
गंगा नदी में हरिद्वार से लेकर यहां तक कई नहरें व रजवाहे निकलते हैं। परंतु वे भी जलस्तर कम होने के कारण सूखे पड़े हैं। इससे किसान भी ¨चतित है क्योंकि अभी तो गर्मी का कहर प्रारंभ ही हुआ है।
घटते जलस्तर में शिकारियों पर पैनी नजर रखने के लिए विभाग द्वारा गश्त बढ़ा दी गई है। यदि कोई भी शिकार करता पाया गया तो उसके विरूद्ध सख्त कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
संजीव यादव डीएफओ अधिकारी
एक दो दिन हल्के बादल छाए रहेंगे और हल्की बूंदाबांदी होने की संभावना है। परंतु अभी कई दिनों तक गर्मी का प्रकोप इसी तरह जारी रहेगा।
मौसम वैज्ञानिक डॉ उदय प्रताप शाही