वाराणसी (ब्यूरो)पहले निकाय, फिर जिला पंचायत तो हाल में ही बीते विधानसभा चुनाव में करिश्माई प्रदर्शन करने वाली भाजपा को एमएलसी चुनाव में मुंह की खानी पड़ीपूरी ताकत लगाने के बाद भी धौरहरा परिवार का कब्जा नहीं तोड़ सकीबीते 24 साल से एक ही परिवार इस सीट पर काबिज चला आ रहा हैउम्मीद थी कि इस बार भाजपा परिवार के वर्चस्व को खत्म कर देगी लेकिन परिणाम ने सारे समीकरण को खारिज कर दियायह तब हुआ जब जिले की सभी आठ सीटों पर भाजपा के ही विधायक हैंनगर निगम में महापौर व जिला पंचायत में अध्यक्ष भी भाजपा के ही हैं.

जीते थे बृजेश सिंह

भाजपा का सारा समीकरण निवर्तमान एमएलसी व जेल में बंद बृजेश ङ्क्षसह ने बिगाड़ दियावर्ष 2016 के एमएलसी रहे बृजेश ङ्क्षसह ने समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मीना ङ्क्षसह को दो हजार मतों से हराया थायह उनकी लगातार दूसरी जीत थीतीसरी बार भी वे चुनाव मैदान में थे

और बिगाड़ दिया खेल

नामांकन के प्रारंभ में भाजपा ने पत्ते नहीं खोले थे लेकिन जैसे ही पार्टी ने सुदामा पटेल को प्रत्याशी बनाने का निर्णय लिया तो बृजेश ङ्क्षसह ने पत्नी अन्नपूर्णा ङ्क्षसह का नामांकन भी करायाअंत में खुद पर्चा वापस ले लियाइसके साथ ही भाजपा का खेल बिगड़ गयाचूंकि, जिला पंचायत में सपा का प्रदर्शन बेहतर थानिकायों में भी सपा मजबूती से खड़ी थी जिसके आधार पर लड़ाई त्रिकोणीय हो गईचुनाव मैदान में अन्नपूर्णा ङ्क्षसह के आने के बाद भाजपा ने विधायकों समेत अन्य जनप्रतिनिधियों से संगठन को मजबूती देने का निर्देश जारी करते हुए भाजपा प्रत्याशी की जीत के लिए पूरी ताकत झोंक देने के लिए अपील की.

संगठन की नहीं चली

प्रदेश से लेकर स्थानीय स्तर के पदाधिकारी बैठकें करते रहे लेकिन धौरहरा परिवार की राजनीति में मजबूत पकड़ ने संगठन के निर्देशों को बेअसर कर दियाबता दें कि वाराणसी एमएलसी सीट पर बृजेश का कुनबा पिछले चार बार से जीतता आ रहा हैइसकी शुरुआत बृजेश के बड़े भाई उदयनाथ ङ्क्षसह उर्फ चुलबुल ङ्क्षसह ने कीभाजपा के टिकट पर दो बार एमएलसी चुलबुल के बाद बृजेश की पत्नी अन्नपूर्णा ङ्क्षसह बसपा के टिकट पर एमएलसी बनींउसके बाद मार्च 2016 में खुद बृजेश वाराणसी से एमएलसी बन कर विधान परिषद में पहुंच चुके हैं.

भितरघात ने दिखाई पराजय

भाजपा प्रत्याशी सुदामा पटेल ने चुनाव में धनबल बाहुबल के प्रयोग का आरोप लगायासाथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं के भितरघात को हार की वजह बतायाउन्होंने कहा कि जब भाजपा के कार्यकर्ता ही निर्दल प्रत्याशी का एजेंट बने हुए हैं तो आप खुद सोच सकते हैं कि परिणाम क्या होगा

भाजपा से आगे रहने का हमें संतोष

समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी उमेश यादव ने भी निर्दल प्रत्याशी अन्नपूर्णा की जीत को धनबल और बाहुबल की जीत बतायाहालांकि, चुनाव परिणाम में भाजपा से आगे रहने का संतोष भी व्यक्त कियाकहा कि हमें संतोष है कि हम भाजपा से आगे हैंजिन लोगों ने मुझे वोट किया, मैं उनका आभारी हूं.