वाराणसी (ब्यूरो)नगर निगम द्वारा शहर के तमाम सरकारी कार्यालयों में विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाती हैैं, जिसके बदले नगर निगम प्रशासन द्वारा उन भवनों से टैक्स लिया जाता हैपिछले कई वर्षों से शहर के 210 सरकारी भवनों ने नगर निगम को टैक्स अदा नहीं किया है जिसके लिए बकायदा नगर निगम मुख्यालय ने लिस्टिंग कर ली हैसाथ ही इनके यहां अपनी टैक्स असेसमेंट टीम को भेजकर इनसे टैक्स का भुगतान कराने का प्रयास किया जा रहा हैसूत्रों का कहना है कि इन भवनों द्वारा टैक्स का भुगतान पिछले पांच वर्षों से नहीं किया जा रहा हैआंकड़ों के अनुसार, 170 सरकारी भवनों के करीब 9 करोड़ रुपये बकाया हैवहीं 40 अन्य सरकारी भवनों का टैक्स असेसमेंट अभी किया जा रहा है.

जोनल कार्यालय हुए असफल

मई 2022 से नगर निगम मुख्यालय द्वारा टैक्स कलेक्शन की सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था को डिसेंट्रलाइज्ड कर दिया गयाइसके परिणाम स्वरूप सभी प्रकार के भवनों का टैक्स असेंसमेंट करना और उनके ऊपर टैक्स बिल बनाने का कार्य जोनल कार्यालयों को सौंप दिया गयाजोनल कार्यालयों को ये सहूलियत देने के पीछे मुख्य उद्देश्य था कि ये अपने एरिया के भवनों से हर हाल में टैक्स कलेक्शन कर लेंगे और बार-बार उन्हें मुख्यालय से परमिशन नहीं लेनी होगीइतनी आजादी मिलनी के बाद भी जोनल कार्यालयों में शिथिलता जारी रही और उनके द्वारा नगर निगम के राजस्व को नुकसान पहुंचा.

नोटिस देने की तैयारी

टैक्स कलेक्शन के बारे में नगर निगम के ही एक अधिकारी ने बताया कि ऐसे भवनों का चिन्हाकन कर लिया गया हैइनके द्वारा टैक्स नहीं देने पर सबसे पहले इनको पत्राचार के माध्यम से नोटिस दी जा रही हैनोटिस का जबाब इन्हें 15 दिनों के भीतर देते हुए टैक्स का पेमेंट करना होता हैइसके बाद भी अगर सरकारी भवनों के अधिकारियों के द्वारा नगर निगम का टैक्स भुगतान नहीं किया जाता है तो उनके ऊपर विधिक कार्रवाई करने के लिए नगर निगम मुख्यालय प्लानिंग कर रहा है.

रेवेन्यू लास से सुविधाओं का टोटा

नगर निगम द्वारा टैक्स हासिल करने के बाद शहर के आम नागरिकों के साथ ही इन्हीं भवनों को तमाम प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाती हैंटैक्स हासिल नहीं होने का कारण बताया जा रहा है कि नगर निगम के टैक्स विभाग में पेपर से लेकर स्टेशनरी तक का अभाव हो गया हैसाथ ही टैक्स इंस्पेक्टरों के द्वारा बीट पर जाकर असेसमेंट भी नहीं किया जा रहा है.

ऐसे लगता है हाउस टैक्स

सरकारी भवनों के कार्पेट एरिया से वार्ड की मासिक किरायेदारी से गुणा करते हैं, जो गुणनफल आता है उसमें 12 से गुणा करते हैंइसके बाद वार्षिक किराया मूल्यांकन होता हैउसका 15 प्रतिशत सालाना टैक्स होता हैहर वार्ड की मासिक किरायेदारी की दर नगर निगम की वेबसाइट के अलावा जोनल कार्यालयों के आफिसों के नोटिस बोर्ड में चस्पा हैसरकारी भवनों में कवर्ड एरिया के आधार पर श्रेणीवार मूल्यांकन होता हैजैसे अगर किसी अस्पताल का मूल्यांकन करना है तो वह श्रेणी तीन में आता हैफार्मूले के आधार पर जो मासिक किराये का मूल्यांकन होता है, उसमें तीन का गुणा कर देते हैंवही उस अस्पताल का टैक्स होता है.

रेवेन्यू इंस्पेक्टर भेज रहा बिल

नगर निगम द्वारा प्रदत्त सुविधाओं का लाभ पाने के लिए नागरिकों के साथ ही सरकारी महकमों के लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिएपरंतु विभागों के अधिकारियों की शिथिलिता के कारण नगर निगम के मुख्यालय के द्वारा रेवेन्यू इंस्पेक्टर की तैनाती कर दी गई हैइनके द्वारा नोटिस प्रत्येक सरकारी भवन के इंचार्जों को नोटिस हैैंडओवर कराई जा रही हैइसके बाद इनसे स्पष्टीकरण लेेते हुए आगे की वसूली कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी.

जोनवार सरकारी भवन एवं बकाया

जोन-भवन संख्या-बकाया राशि

आदमपुर-19-6824252

भेलूपुर-35-5953511

दशाश्वमेध-21-13707655

कोतवाली-12-9667310

वरुणापार-83-53262689

टोटल-170-89415417

नोट- राशि करोड़ में है

सभी जोनल अधिकारियों और कर निरीक्षकों को आदेशित कर दिया गया है कि सभी सरकारी भवनों के विभागाध्यक्षों से संपर्क करते हुए उन्हें पत्र दें और नव वर्ष से पहले टैक्स को जमा करें.

प्रदीप कुमार मिश्रा, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, नगर निगम