-सावन में पहले सोमवार को बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में डेढ़ लाख ने टेका मत्था

-जिले के अन्य शिव मंदिरों में भी पूरे दिन भक्तों की उमड़ी रही भीड़

सावन के पहले सोमवार पर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बाबा का दर्शन सुबह मंगला आरती के बाद शुरू हुआ तो देर शाम तक चलता रहा। पूरे दिन सावन की परंपरा अनुसार दर्शन पूजन हुआ तो शाम को श्रृंगार भोग आरती से पहले गर्भगृह में बाबा का शिव रूप श्रृंगार किया गया। इस दौरान मंगला आरती के बाद तरह-तरह के फूलों से बाबा की झांकी सजाई गई। मान्यता है कि सावन के हर सोमवार को बाबा अलग-अलग रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। भक्त बाबा के इस अद्भुत और आकर्षक स्वरूप का दर्शन पाकर तृप्त होते हैं। इस विधान के अनुसार हर सोमवार को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह में अलग-अलग झांकी सजाई जाती है। इस बीच बाबा का एक झलक पाने के लिए रविवार देर रात से ही लाइन लग गयी थी। मंगला आरती के बाद मंदिर खुलते ही दर्शन शुरू हो गया। इस दौरान दूर दूर से भक्तों ने बाबा के दर पर मत्था टेका। वहीं यादव बंधुओं ने परंपरानुसार जलाभिषक किया।

डेढ़ लाख ने किया दर्शन

बाबा दरबार में मंगला आरती के बाद आम श्रद्धालुओं को प्रवेश मिला तो श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में रात में शयन आरती तक डेढ़ लाख भक्तों ने हाजिरी लगायी, जबकि दोपहर में भोग आरती तक करीब पचास हजार लोग बाबा का दर्शन पूजन कर चुके थे। वहीं पहले सोमवार को यादव बंधु विभिन्न जगहों से जुलूस निकालकर बाबा का जलाभिषेक किया। सुबह डमरू दल के साथ पूरी टोली मौजूद रही और पूरा क्षेत्र हर हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा। इसके लिए मंदिर सहित आसपास सुरक्षा व्यवस्था टाइट रही।

शिव मंदिरों में भक्तों का लगा रहा रेला

बाबा दरबार सुबह मंगलाआरती के बाद आस्थावानों के लिए खुला तो पूरा प्रांगण हर हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा। वहीं सारंगनाथ, तिलभांडेश्वर महादेव, मारकंडेय महादेव, रामेश्वर, बीएचयू स्थित नया विश्वनाथ मंदिर, शूल टंकेश्वर मंदिर सहित अन्य शिव मंदिरों में आस्था की कतार सुबह से ही लगी रही। यहां देर शाम तक दर्शन पूजन करने वालों की लाइन लगी रही।