उगते सूरज को अ‌र्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुआ सूर्योपासना का महापर्व डाला-छठ

गंगा घाट पर उमड़ी भीड़, नाक के पोर से मांग भर कर निभाई व्रत की परंपरा

VARANASI (18 Nov):

गंगा घाट पर बुधवार को जुटे सभी आस्थावानों को सूर्य देव के दर्शन का बेसब्री से इंतजार था। कब उदित होंगे भगवान भाष्कर और कब पूरा होगा भक्तों का संकल्प? लोगों की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी। भगवान के उदित होने का म्.ख्0 बजे का समय निर्धारित था। पर यह समय बीतने लगा था। सुरूज देव को अ‌र्घ्य की लालसा में कमर भर जल में खड़ी महिलाओं के मुंह से अपने आराध्य के दर्शन की व्यथा लोकगीतों के रूप में फूट पड़ी। 'कहां बिलमली हे दीनानाथ अरघिया के बेर' उगा उगा हो सुरुज देव उगा भइल अरगिया के बेर, जैसे गीतों की मधुरता ने भगवान भाष्कर को द्रवित कर दिया और रश्मिरथ पर सवार होकर चल पड़े अपने भक्तों ने से मिलने। जैसे भी बादलों में से अरुणदेव की झलक दिखायी दी हर हर महादेव के गगन भेदी उद्घोष साथ भक्तों ने उनका स्वागत किया और इसी के साथ शुरू हो गया अ‌र्घ्य देने का सिलसिला।

अ‌र्घ्य के साथ पूरा हुआ संकल्प

सूर्योपासना के महापर्व डाला छठ पर उगते सूरज को अ‌र्घ्य देने के लिए गंगा तट पर महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी। महिलाओं ने भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य देने के साथ चार दिनी अपने संकल्प को पूरा किया। महिलाओं ने अ‌र्घ्य देने के बाद पहले तो अपनी मांग को पीले सिंदूर से सजाया फिर दूसरों की मांग को भी पीला किया। इसके बाद शुरू हुआ प्रसाद मांग कर सूर्य नारायण के आशीर्वाद प्राप्त करने की होड़। न कोई अमीर न कोई गरीब। भगवान का प्रसाद है हर किसी को मिलेगा। प्रसाद लेने वाला भी धन्य हुआ हुआ और जिसने दिया उसकी खुशी का भी ठिकाना नहीं था। सिर्फ गंगा घाटों पर ही नहीं, पोखरों, कुंडों व सरोवरों में सूर्य को अ‌र्घ्य देने के लिए लोगों का जमावड़ा हुआ।

हर घाट पर बिखरी छठ की ठाठ

श्रद्धालुओं का घाट पर पहुंचने का क्रम रात से ही शुरू हो गया था। सूर्योदय के बाद भी श्रद्धालुओं का घाटों की ओर बढ़ने का क्रम जारी रहा। एक स्थिति ऐसी आयी कि घाटों पर तिल रखने की जगह नहीं बची। पर सूर्योदय होने के थोड़ी ही देर बाद घाट खाली होने लगे। अ‌र्घ्य देने के लिए दशाश्वमेध, शीतला, अहिल्या बाई, मुंशी, चौसट्टी, राजेन्द्र प्रसाद, मान मंदिर, त्रिपुरा भैरवी, मीरघाट, तुलसी, अस्सी, सामनेघाट व राजघाट सहित विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। वरुणा के शास्त्री घाट, डीएलडब्ल्यू स्थित सूर्य सरोवर और दूसरे कुंड सरोवरों पर श्रद्धालुओं का खासा जुटान हुआ।