-बेनियाबाग स्थित मातृ शिशु रक्षा केंद्र हॉस्पिटल का हाल है बदहाल, हाशिए पर पड़ी हैं मेडिकल फैसिलिटीज

-डिलेवरी के नाम पर है व्यवस्थाओं का टोटा, 15 सालों से नहीं मिल रही है दवा, आते हैं इक्का दुक्का पेशेंट्स

VARANASI:

यूं तो कहने को हम ख्क्वीं शताब्दी में जी रहे हैं लेकिन क्8वीं शताब्दी का अहसास आज भी कायम है। हम बात कर रहे हैं सिटी के बेनियाबाग स्थित मातृ शिशु रक्षा केंद्र हॉस्पिटल की। आध़ुनिकीकरण से कोसों दूर इस हॉस्पिटल की चिकित्सा व्यवस्था भगवान भरोसे है। डेवलपिंग नेशन के इस अंडरडेवलप्ड हॉस्पिटल का आलम यह है कि लाइट न होने पर यहां मोमबत्ती या फिर चार्जर लाइट के सहारे पेशेंट्स की डिलेवरी होती है। फॉर्मेलिटी के नाम पर हॉस्पिटल में जेनरेटर की फैसिलिटी तो है लेकिन डीजल का खर्चा हॉस्पिटल को नहीं मिलता। इस वजह से इसे यदा कदा ही चलाया जाता है। हॉस्पिटल के स्टॉफ मेंबर्स तक को याद नहीं कि जनरेटर आखिर लास्ट टाइम स्टार्ट कब हुआ था। एक अरसे से इस हॉस्पिटल का रिनॉवेशन भी नहीं हुआ है। ऐसी दयनीय कंडीशन में यह हॉस्पिटल किसी खंडहर से कम नहीं लगता है।

क्भ् सालों से नहीं मिली दवा

इस हॉस्पिटल में बीते क्भ् सालों से पेशेंट्स को दवा नहीं मिल रही है। यहां भूले भटके अगर कोई पेशेंट आ भी जाए तो उसे एक सादी पर्ची पर दवा का नाम लिख दिया जाता है। इसे पेशेंट को मार्केट से खरीदना होता है। यहां तक कि डिलेवरी के लिए भी प्रॉपर फैसिलिटी नहीं है। यहां बेड्स तो हैं लेकिन उन पर बिछाने के लिए गद्दे-चादर नहीं हैं। अधिकतर वार्डो में बल्ब भी नहीं जलते हैं।

रिटायर्ड डॉक्टर कर रहीं सेवा

हॉस्पिटल में ख्0क्0 में चार लेडी डाक्टर्स रिटायर्ड हुई थीं। इसके बाद किसी भी लेडीज डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हुई। हालांकि, पेशेंट्स से लगाव होने के कारण रिटायर्ड डॉ। रीता बनानी सुबह दस से क्ख् बजे तक फ्री में पेशेंट्स का चेकअप करती हैं।

पेशेंट्स गुल, स्टाफ फुल

इस हॉस्पिटल में पेशेंट्स भले ही ना आएं लेकिन स्टॉफ में यहां कोई कमी नहीं है। एक लेडीज डॉक्टर के अलावा इस टाइम हॉस्पिटल में सात दाई, तीन स्वीपर, दो चौकीदार, एक अटेंडेंट, एक क्लर्क के साथ-साथ तीन एएनएम हैं। इनमें से कुछ स्टॉफ मेंबर्स के अलावा बाकी सभी सिर्फ अटेंडेंस की फॉर्मेलिटी पूरी करते हैं।

गंदगी का लगा है ढेर

आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने वीरान पड़े इस हॉस्पिटल के ओपीडी में टूटे हुए बेंच पर बैठी एक स्टॉफ मेंबर से जब वार्ड में चंहुओर दिख रही गंदगी के बारे में पूछा तो उसका दो टूक जवाब था कि जब पेशेंट्स ही नहीं आते तो फिर साफ-सफाई कराने से फायदा ही क्या। गवर्नमेंट भी इस हॉस्पिटल पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।

हॉस्पिटल में लेडीज डॉक्टर नहीं है। एक रिटायर्ड डॉक्टर हैं जो फ्री में सेवा कर रही हैं। ओपीडी में पेशेंट्स का चेकअप किया जाता है।

डॉ। अजय गुप्ता,

प्रभारी,

मातृशिशु हॉस्पिटल, बेनियाबाग