वाराणसी (ब्यूरो)। शराब के नशे में वाहन चलाने की वजह से आए दिन हादसे होते हैैं। पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ लगातार मुहिम चलाती है लेकिन कुछ लोग शराब पीकर वाहन चलाकर अपनी जान के साथ साथ दूसरों की जान भी जोखिम में डाल देते हंै। आंकड़ों के अनुसार, जिले में रोजाना सड़क हादसे में करीब पांच लोग अपनी जान गंवाते हैैं। हर रोज हो रहे इन हादसों में 12 फीसद मामले शराब पीकर गाड़ी चलाने की वजह से होते हैं.
बता दें कि शराब में मौजूद अल्कोहल की वजह से इंसान अपना होश खो देता है। इसकी वजह से सड़क पर किसी खतरनाक परिस्थिति में ड्राइवर गाड़ी पर नियंत्रण नहीं रख पाता। ट्रैफिक विभाग में 17 ब्रेथ एनलाइजर मशीन हैैं। लेकिन, शहर में बढ़ती आबादी और टूरिज्म के आवक के लिहाज से मशीनों की संख्या को मानक के अनुरूप नहीं कहा जा सकता है.
28 की जांच, 2 का चालान
जानकारी के मुताबिक हाल ही में लंका, नरिया, सुंदरपुर के आसपास इलाकों में अभियान चलाकर 28 वाहन चालकों का ब्रेथ एनलाइजर टेस्ट किया गया। इसमें से दो वाहन चालक नशे में मिले, जिन पर मोटर वेहिकल एक्ट-185 के तहत कार्रवाई की गई। एक शिफ्ट में टीएसआई के पास 10 और टीआई के पास 7 ब्रेथ एनलाइजर मशीनें होती है.
नहीं हो रही कार्रवाई
पूर्वांचल का हब होने की वजह से शहर में कारोबार या अन्य उद्देश्य से आसपास के जनपदों से बड़ी तादात में टूह्वïीलर व फोरह्वïीलर से नागरिक शहर में दाखिल होते हैैं। लिहाजा, शहर में इंट्री के गेटवे ट्रैफिक बूथों पर कड़ाई से ड्रिंक एंड ड्राइव पर नकेल कसा जाना चाहिए, लेकिन विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा है.
पायलट मोड में चले अभियान
ड्रिंक-ड्राइव से होने वाले हादसों पर लगाम लगाने के लिए शहर में चलाए जा रहे अभियानों को पायलट मोड में चलाया जाए। साथ ही प्रवेश द्वारों पर शराब या अन्य किसी प्रकार के नशे में वाहन चलाने से होने वालों जानलेवा हादसों से प्रति जागरूक करने वाले होर्डिंग्स आदि को बड़े पैमाने पर लगाया जाए और नियमों को कड़ाई से पालन कराया भी जाए.
नशे के सेंसटिव जोन
चौकाघाट, डाफी, लंका, सुंदरपुर, सामनेघाट, पांडेयपुर, कमच्छा, गोदौलिया, कैंट, विद्यापीठ, शिवपुर, नरिया, गिलट बाजार, ऑर्डली बाजार, लहरतारा, मैदागिन, सिटी स्टेशन, पीलीकोठी, मडुआडीह समेत अन्य दर्जन भर इलाकों की सड़कों पर नशाखोरी कर वाहन दौड़ाने के केसेज देखने को मिलते हैैं.
शहर को ड्रिंक-ड्राइव से होने वालों हादसों के प्रति जीरो टालरेंस की नीति अपनाई गई है। इसके लिए पुलिस को साथ लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। पब्लिक को अवेयर करने के लिए स्कूल स्टूडेंट, एनसीसी कैटेट्स और पब्लिक वांलिटियर समेत कई संस्थाओं के साथ कैंपेन भी किए जा रहे हैैं.
डीके पुरी, एडीसीपी ट्रैफिक, वाराणसी
शहर में रात को शराब के नशे में बहुत लोग चारपहिया वाहन को डेडली तरीके से दौड़ाते हैैं। बेहतर होता कि प्रशासन रात में नशेडिय़ों को सबक सीखाने के लिए अभियान चलाए.
आशीष मौर्य, यूथ
अतिव्यस्तम इलाकों में जैसे लंका, गोदौलिया, सिगरा, पांडेयपुर और कैंट में समय-समय पर चल ब्रेथ एनलाइजर दस्ते को रैैंडम जांच करनी चाहिए। इससे वाहन चालकों में जागरूकता तो आएगी ही साथ ही अपराधिक तत्व भी पकड़ में आ जाएंगे.
लकी वर्मा, पार्षद
हाल के सालों में न्यू जनरेशन के रईस यूथ ट्रैफिक नियमों को ताक पर अपने दोस्तों के साथ कार में ड्रिंक से साथ लाउड साउंड भी बजाते हैैं। इससे कई बार हादसे हो चुके हैैं। विभाग इस विषय को गंभीरता से संज्ञान ले.
राजीव कुमार सिंह, नागरिक
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पहले से पटरी पर लौटी है। लेकिन अब भी बहुत कुछ करना है। स्मार्ट सिटी में स्मार्ट और स्मूथ यातायात हो। इससे की पब्लिक के साथ एमरजेंसी में पेशेंट आदि को सहुलियत हो। रूल्स ब्रेक करने वाले जो भी हो कड़ी कारवाई की जाए.
वसीम अहमद, बजरडीहा