वाराणसी (ब्यूरो)। सिटी में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह बैन लगा है, लेकिन यह प्रतिबंध सिर्फ सरकारी कागजों तक ही नजर आता है। यहां बाजार और दुकानों पर खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। बाजारों में पॉलिथिन आसानी से उपलब्ध है। सबसे ज्यादा सब्जी, फल और नॉनवेज विक्रेता पॉलीथिन का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन इन्हें रोकने-टोकने वाला भी कोई नहीं है। वहीं नगर निगम सिर्फ अपनी झोली भरने में लगा हुआ है। वर्ष 2019 से चल रहे अभियान के तहत अब तक नगर निगम ने 1.27 करोड़ रुपये की पेनाल्टी जरूर वसूली है, लेकिन प्लास्टिक बैन की जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है.
शहर में पॉलिथिन की रोकथाम में नगर निगम के अधिकारियों की महती भूमिका होती है। अभियान चलाकर लोगों को पॉलिथिन के यूज के लिए अवेयर करने के साथ ही नगर स्वास्थ्य अधिकारी एवं प्रवर्तन दल की टीम छापेमारी करती है। जहां नगर निगम अब तक पालिथिन के अभियान के नाम पर 1 करोड़ 27 लाख की आमदनी कर चुका है, वहीं 12,500 किग्रा पालिथिन सीज कर जमा किया हुआ है। साथ ही नगर निगम के अधिकारी अतिक्रमण अभियान चलाकर करीब 10 लाख की जब्त पालिथीन अन्य कंपनियों को सेल कर चुके हैैं.
कूड़े के ढेर में पॉलिथिन
पॉलिथिन का प्रयोग इस कदर हो रहा है कि कूड़े के ढेर से 50 फीसद से अधिक निकलता है। यही नहीं पॉलिथिन शहर के हर नाले में बहती है, जोकि गंगा और वरुणा नदियों में जा रही हैं। इस कारण नदियों में भी प्रदूषण बढ़ रहा है।
दुर्गंध का मेन कारण पॉलिथिन
शहर की आबोहवा खराब करने और दूषित हवाओं के संचालन में इन पालिथिन युक्त कूड़े के ढेर की भूमिका होती है। ये कूड़े के ढेर जहां कहीं भी कलेक्ट होते है वहां से भारी मात्रा में दुर्गंध निकलती है। पालिथिनयुक्त कूड़े के ढेर को जलाने पर भारी मात्रा में नाइट्रोजन डाई आक्साइड एवं कार्बन मोनो आक्साइड गैस निकलती है जो पूरे वायुमंडल को खराब कर देती है.
रामनगर में चल रही है कम्पनी
सूत्रों के अनुसार, रामनगर में अवैध पालिथिन की कंपनी अभी भी चल रही है। ये कंपनियां ग्लास बनाने का लाइसेंस लेकर अवैध रूप से पालिथिन भी बना रही हैं और पूरे शहर में सप्लाई कर रही हैं। बीच में अभियान के नाम पर शासन ने लहरतारा की कुछ कम्पनियों को बंद कराया था लेकिन अब रामनगर में शुरू हो गया है। इसके साथ ही अवैध रूप से भारी मात्रा में ट्रकों की खेप शहर में आ रही है.
हमारा अतिक्रमण दस्ता लगातार काम कर रहा है। ये चोरी से पॉलिथिन यूज कर रहे हंै। ज्यादातर अवैध पालिथिन बाहरी राज्यों से आ रही हंै.
कर्नल राघवेन्द्र मौर्या, प्रभारी, प्रवर्तन दल
हम पॉलिथिन के मौजूदा हालात की समीक्षा करके आने वाले एक-दो सप्ताह के अंदर अभियान चलाने वाले हैं। पॉलिथिन के प्रयोग से भारी मात्रा में पर्यावरण का इको सिस्टम खराब हो रहा है.
कालिका सिंह, आरओ, पॉल्यूशन ïिवभाग
हमें अलर्ट रहने की जरूरत है। इतनी भारी मात्रा में पॉलिथिन के प्रयोग से पूरा वायुमंडल दूषित हो रहा है। लोगों की इसके प्रयोग की वजह से ही जीवन प्रत्याषा कम हो रही है.
प्रोफेसर सुमन सिंह, भूगोलविद, बीएचयू