वाराणसी (ब्यूरो)। पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट नव्य-भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर में भक्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। रिकॉर्ड संख्या में दर्शनार्थियों के आमद से उनकी सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार ने अग्नि सुरक्षा के अत्याधुनिक उपकरणों से धाम को लैस कर दिया है। आग लगने पर तत्काल अत्याधुनिक तकनीक के फायर फाइटर खुद ही आग को कंट्रोल करेंगे। परिसर के किसी भी भवन में आग लगते ही उस पर मिनटों में काबू पाया जा सकता है।
भक्तों की बढ़ रही संख्या
श्री काशी विश्वनाथ धाम विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण के बाद करीब 50,280 वर्ग मीटर में फैल गया है। धाम में शिव भक्तों की संख्या रोजाना बढ़ती जा रही है। आने वाले समय में नवनिर्मित भवनों में व्यवसायिक गतिविधियां भी शुरू होंगी। साथ ही मुमुक्षु भवन, गेस्ट हाउस, म्युजियम, लाइब्रेरी, जलपान गृह आदि का संचालन शुरू होगा। इसे देखते हुए अग्नि शमन विभाग ने अग्नि सुरक्षा के सभी उपाय कर लिये है।
अत्याधुनिक उपकरण लगाए
काशी विश्वनाथ धाम में मंदिर समेत सभी नव निर्मित भवनों की सुरक्षा के लिए अग्निशमन विभाग ने अत्याधुनिक उपकरण लगाए हैं। आग लगने पर तत्काल अत्याधुनिक तकनीक के फायर फाइटर खुद ही आग को कंट्रोल करेंगे। करीब 1,45,000 लीटर का वाटर टैंक मंदिर परिसर में है। अत्याधुनिक पंप लगे हैं। जिसमें जॉकी पम्प ऑटो मोड में रहता है। आग की भनक पाते ही ये स्वत: चालू हो जाता है। जरूरत पडऩे पर इलेक्ट्रिकल पंप भी खुद ही स्टार्ट हो जाता है, जो अधिक प्रेशर से पानी देता है। यदि किसी कारणों से ये दोनों पम्प आग लगने पर नहीं चल पाते तो तीसरा डीजल पंप खुद चालू हो जाता है। इसके अलावा पूरे परिसर में 96 फायर हाइडें्रट लगे है। जिसमें एक्सटर्नल 41 और इंटरनल 55 फायर हाइड्रेंट और 494 स्मोक डिटेक्टर, 46 हीट डिटेक्टर लगे हैं। इसके अलावा अलग तरह के करीब 224 फायर एक्सटिंग्विशर भी परिसर में लगे हैं।
162 सीसीटीवी कमरे लगे
परिसर में सुरक्षा के लिए लगे 162 सीसीटीवी कमरे से कंट्रोल रूम में बैठकर निगरानी भी होगी। साथ ही अग्निशमन कर्मचारी फायर पैनल पर भी नजर रखते हैं। इसे आग लगने वाली सही जगह की पहचान हो सके और आग पर तुरंत नियंत्रण किया जा सके। इसके अलावा विभाग के पास पोर्टेबल पंप है, जिससे गंगा से सीधे पानी लिया जा सकता है.
श्री काशी विश्वनाथ परिसर में आग से बचाव के लिए आधुनिक इंतजाम किए गए हैं। लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाले फायर फाइटर सिस्टम डेवलप किया गया है। करीब डेढ़ लाख लीटर पानी का टंैंक भी बनाया गया है, जिससे अब विश्वनाथ धाम में आगजनी से कोई नुकसान नहीं होगा.
अनिमेष सिंह, सीएफओ