-24 घंटे में तीन मीटर बढ़ गया गंगा का पानी

-शीतला मंदिर के पास पहुंची गंगा, घाटों का संपर्क टूटा

- बारिश से गंगोत्री और ऋषिकेश में जैसे-जैसे पानी का स्तर बढ़ा रहा है, उसी रफ्तार से वाराणसी में गंगा का जलस्तर भी बढ़ रहा है

62.52 मीटर था जलस्तर शुक्रवार को दोपहर तक

63.64 मीटर दर्ज किया गया जलस्तर शनिवार शाम छह बजे तक वाराणसी में

3 से 4 सेंटीमीटर की रफ्तार से प्रति घंटे पानी लगातार सीढि़यां चढ़ रही हैं

उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश से गंगोत्री और ऋषिकेश में जैसे-जैसे पानी का स्तर बढ़ा रहा है, उसी रफ्तार से वाराणसी में गंगा का जलस्तर भी बढ़ रहा है। 24 घंटे में तीन मीटर से ज्यादा पानी बढ़ गया है। शनिवार शाम छह बजे तक वाराणसी में गंगा का जलस्तर 63.64 मीटर दर्ज किया गया। हालांकि शुक्रवार दोपहर जलस्तर 62.52 मीटर था। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार प्रति घंटे 3 से 4 सेंटीमीटर की रफ्तार से गंगा लगातार सीढि़यां चढ़ रही हैं। दशाश्वमेध घाट स्थित शीतला माता मंदिर तक पानी पहुंच गया है। जलस्तर बढ़ने से अधिकतर घाटों का संपर्क टूट गया है। तीर्थ पुरोहितों और नाविकों ने सामान सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना शुरू कर दिया है। हालांकि वाराणसी में गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु से करीब 6 मीटर कम है। यहां चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर है।

रत्‍‌नेश्वर महादेव का मंदिर भी डूबा

वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ने के चलते अस्सी से राजघाट के किनारे स्थित छोटे मंदिर और मढि़यां पानी में समा गए हैं। सिंधिया और मणिकर्णिका घाट के बीच रत्‍‌नेश्वर महादेव का मंदिर भी डूब गया है। महंत दीपक गिरि ने बताया कि साल में सिर्फ गर्मी के चार महीने ही मंदिर में पूजा हो पाती है। दशाश्वमेध घाट स्थित शीतला माता मंदिर के पास गंगा का पानी पहुंच गया है। अगर यही रफ्तार रही तो दो से तीन दिन में मंदिर में पानी घुस जाएगा। करीब 10 से 12 सीढि़यां डूबने से अधिकतर घाटों का संपर्क आपस में टूट गया है।

सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया सामान

गंगा का पानी बढ़ने से तीर्थ पुरोहितों और नाविकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जैसे-जैसे घाट की सिढि़यां गंगा में समाते जा रही है, उसी तरह तीर्थ पुरोहित भी हर दिन अपना स्थान बदल रहे हैं। इसी तरह मल्लाहों ने भी नावों को घाटों पर लगे पोलों और भवनों की कडि़यों से बांधना शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा अन्य लोगों ने भी अपना सामान सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है। नाविकों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर का असर खत्म होने के बाद किसी तरह से गंगा में नौकायन शुरू हुआ तो अब बाढ़ आ गई। अब अगले 2 माह तक नौकायन ठप ही रहेगा।

वरुणा किनारे मची अफरा-तफरी

गंगा का जलस्तर बढ़ता है तो पलट प्रवाह के कारण वरुणा में बाढ़ पहले आ जाती है। इससे कोनिया, नक्खी घाट, ऊंचवा, सिंधवा घाट सहित आसपास के अन्य इलाकों के 350 से ज्यादा भवन बाढ़ के पानी से घिर जाते हैं। इन इलाकों में सबसे ज्यादा खलबली है। गंगा का जलस्तर तकरीबन 2 मीटर और बढ़ेगा तो उनकी मुश्किलों का सिलसिला बढ़ जाएगा। गंगा का जलस्तर बढ़ता देख सभी अपने सामान को सुरक्षित स्थान पहुंचाने में यहां भी जुट गए हैं। अगर बाढ़ आई तो लगभग दो महीने तक इन्हें नए ठिकाने पर रहना होगा।

एनडीआरएफ की दो टीमें तैनात

गंगा में बढ़ रहे पानी पर प्रशासन की नजर है। लगातार केंद्रीय जल आयोग से रिपोर्ट ली जा रही है। जल पुलिस को भी अलर्ट कर दिया गया है। इसके अलावा संभावित बाढ़ को देखते हुए एनडीआरएफ की दो टीमें तैनात कर दी गई हैं, जो दशाश्वमेध और राजघाट पर मौजूद है। एक टीम में करीब 6 जवान हैं, जो हर मदद पहुंचाने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है।