वाराणसी (ब्यूरो)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इन दिनों आवारा पशुओं से लोग काफी परेशान हैं। बीएचयू परिसर को सुरक्षित और सुंदर बनाने के लिए प्रशासन की ओर से लाखों रुपए खर्च तो किए जाते हैं, लेकिन कृषि विज्ञान संस्थान अंतर्गत संचालित डेयरी फर्म के सैकड़ों गाय परिसर में घूमते देखे जा सकते हैं। इनमें अधिकतर वो गायें रहती हैं जो बूढी हो गई हों या फिर कम दूध देने वाली होती हैं। कई बार ये गायें छात्रों पर भी अटैक कर देते हैं, जिससे परिसर के भीतर से गुजरने वाले छात्रों में डर बना रहता है। इतना ही नहीं, सड़कें भी इनकी गोबर से पटी रहती हैं। हालाकि डेयरी फर्म में रखने वाली गायों के ऊपर टैगिंग की होती है, इसके बावजूद ये गायें सड़कों पर आसानी के साथ घूमती नजर आती हैं। कृषि विज्ञान संस्थान अंतर्गत संचालित डेयरी फर्म की गायें हमेशा सड़कों पर पाई जाती हैं और इनकी नीलामी भी यहां सालों से बंद है। हालींकि नए गाय भी यहां नहीं खरीद की गई, जिसका मूल कारण फंडिंग बताया जा रहा है.
सड़कों पर होता है हादसा
सड़कों पर हमेशा गाय कभी ये खुद हादसे के शिकार होते हैं तो कभी आम लोगों की दुर्घटना का कारण बनते हैं। इसके बाद भी इन्हें सड़कों से दूर करने के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो डेयरी फर्म के गाय के अलावा बाहर के पशु भी कैंपस के भीतर घूमते नजर आते हैं, लेकिन परिसर से इन्हें हटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है।
बंद है नीलामी
जानकारी के मुताबिक कृषि विज्ञान संस्थान के डेयरी फर्म में पहले गायों की नीलामी होती थी। डेयरी फर्म के मुताबिक पहले पशुपालक कम दूध देने वाली गायें ले जाया करते थे, लेकिन अब नीलामी बंद कर दी गई है। जिन गायों को डेयरी में लाया जाता है, उन्हें तकरीबन पूरी सुविधाओं के साथ डेयरी में रखा जाता है। वर्तमान समय डेयरी में गायों की संख्या लगभग साढ़े चार सौ के आसपास है और सभी गायों पर बीएचयू की टैगिंग लगी हंै।
सालों से नहीं खरीदी गई गाय
कृषि विज्ञान संस्थान की ओर से संचालित डेयरी फर्म में सालों से गाय नहीं खरीदी गई है। डेयरी में साइवल ब्रिड की गाय अधिक मात्रा में हैं और इन्हीं गायों के बछड़ों को पाला जाता है ताकि यही गाय फिर अधिक से अधिक दूध दे सकें। साइवल ब्रिड की गाय प्रतिदिन 18 से 20 लीटर दूध देने की क्षमता रखती हैं। इनकी कीमत तकरीबन कीमत 70 हजार के आसपास होती है। 500 गायों की क्षमता, फिर भी सड़कों पर
डेयरी फर्म में लगभग 500 गायों को रखने की क्षमता है, फिर भी बीएचयू परिसर की सड़कों पर रहती हंै। इनमें कई गायें ऐसी भी रहती हैं, जो बाहर ही रहती हैं और इन पर टैंगिंग भी होती है। ये गायें विभागों के कैंपस में लगे फूल-पौधों को चट करने मेें जरा भी देर नहीं लगाती हैं। इसके बावजूद विवि प्रशासन की ओर से कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है.
70 हजार की खरीदी
कृषि विज्ञान संस्थान के डेयरी फर्म में साइवन ब्रिड की गायों की कीमत लगभग 70 हजार के आसपास होती है। जानकारों ने बताया कि गाय की औसत आयु 15-16 साल की रहती है। दूसरी बार बच्चा देने वाली गाय की कीमत सामान्यत: ज्यादा रहती है। गाय का रेट प्रति लीटर दूध के अनुसार रहता है। यानी शुरुआत में दोनों टाइम मिलाकर गाय यदि 15 लीटर दूध दे रही है तो उसकी कीमत 90 हजार तक भी पहुंच जाती है। विवि के डेयरी फार्म में भी शुरुआत में करीब इतनी ही कीमत देकर खरीदारी करता था।
फंड की कमी बना कारण
जानकारी के मुताबिक डेयरी फर्म के लिए फंड की कमी भी पाई गई है। एक अनुमान के मुताबिक सालाना 70 लाख रुपए डेयरी फर्म पर खर्च होता है, लेकिन इसकी फंडिग भी बीएचयू प्रशासन पूरी नहीं कर पाता है। इसके डेयरी के दूध तक को बेचना पड़ता है। फंड के कारण ही पिछले कई सालों से गाय नहीं खरीदी गई है, लेकिन आने वाले वित्त वर्ष में विभाग की ओर से नए गायों की खरीदारी करने का प्रस्ताव देने की तैयारी की जा रही है। यहां कई गाय बूढ़ी हो गई हैं और दूध कम दे रही हैं, इसलिए विवि को पालने में दिक्कतें भी आती हैं।
कैंपस में कभी-कभी गाय घूमती जरूर हैं, लेकिन उनके साथ कोई न कोई होता है। कई बार बाहर के गाय भी आते हैं, लेकिन उन पर हमारे यहां की टैगिंग नहीं होती है। अगर सड़क पर गाय घूमती हंै तो इसके बारे में प्रशासन पूरी तरह से सतर्कता बरतता है। इसके अलावा हमारे यहां डेयरी के लिए फंडिंग में थोड़ी परेशानी जरूर होती है, लेकिन हम मैनेज कर लेते हैं.
-प्रो। राजकुमार, डेयरी फर्म इंचार्ज, कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू