वाराणसी (ब्यूरो)। ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के दैनिक पूजा-अर्चना की इजाजत देने और अन्य देवी-देवताओं के विग्रह को संरक्षित करने को लेकर दायर मुकदमें की सुनवाई 23 जुलाई को जिला जज डा.अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत में होगी। नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश 7 नियम 11 के तहत मुकदमें की पोषणीयता पर पहले सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने वादी पक्ष के मुकदमें की योग्यता पर सवाल उठाने वाली प्रतिवादी पक्ष की दाखिल अर्जी पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने का जिला जज को आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को उक्त प्रकरण में सुनवाई करते हुए मामले की जटिलता और संवेदनशीलता को देखते हुए इसकी सुनवाई सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत से जिला जज को स्थानांतरित कर दिया था.
सर्वे के बाद दो प्रार्थना पत्र
इस मामले में एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट अदालत में दाखिल होने के बाद दो प्रार्थना पत्र भी दाखिल किए गए हैं। एक प्रार्थना पत्र वादी पक्ष ने दाखिल किया गया है। इसमें उल्लेख है कि मस्जिद परिसर में जहां शिवङ्क्षलग मिला है उसके पूरब तरफ दीवार में दरवाजा है। इसे ईंट-पत्थर व सीमेंट से जोड़ाई कर बंद कर दिया गया है। तहखाना में मलबा पड़ा हुआ है। दीवार खड़ी करके शिवङ्क्षलग को ढकते हुए सीमेंट से जोड़ा गया है। उन्होंने मांग किया है कि दीवार व मलबे को हटाकर एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही करते हुए शिवङ्क्षलग की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई के बाबत रिपोर्ट मंगाई जाए।
मछलियों को बचाएं
जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) महेंद्र प्रसाद पांडेय ने इस आशय का प्रार्थना पत्र दिया है कि न्यायालय के आदेश पर कार्यवाही करते हुए जिस परिसर को सील किया गया है उसके अंदर तालाब में पानी भरा हुआ है। इसमें कुछ मछलियां हैं। परिसर सील होने के कारण मछलियों के जीवन पर संकट आ गया है। ऐसे में उन्हें स्थानांतरित करने के बाबत निर्देश दिया जाए। इसके साथ ही सील किए गए क्षेत्र में चारो तरफ पाइप लाइन व नल लगा है। इसका उपयोग नमाजी वजू करने के लिए करते हैं। पाइप लाइन को सील क्षेत्र से हटाना जरूरी है। यहां मौजूद शौचालय में प्रवेश के लिए कोई अन्य रास्ता नहीं है। इन दोनों प्रार्थना पत्रों पर प्रतिवादी पक्ष ने आपत्ति दाखिल की है।
यह है मामला
बता दें कि 18 अगस्त 2021 को नई दिल्ली की रहने वाली राखी ङ्क्षसह एवं बनारस की चार महिलाओं लक्ष्मी देवी,रेखा पाठक,मंजू व्यास व सीता साहू ने ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा-अर्चना करने एवं परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखने की मांग करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में मुकदमा दायर किया था। वादी पक्ष की अपील पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मौके की वस्तुस्थिति जानने के लिए वकील कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ प्रतिवादी (अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद) की ओर से दायर याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रतिवादी पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया और पूजा स्थल (विशेष प्रविधान) अधिनियम 1991 के उपबंधों का हवाला देते हुए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा-अर्चना का अधिकार मांगने वाली महिलाओं की याचिका पर सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि धार्मिक स्थल के स्वरूप का पता लगाना कानून में प्रतिबंधित नहीं है। पूजा स्थल (विशेष प्रविधान) कानून 1991 किसी धार्मिक स्थल के धार्मिक स्वरूप पता लगाने पर रोक नहीं लगाता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सबकी निगाहें जिला जज की अदालत में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं.