वाराणसी (ब्यूरो)स्मार्ट सिटी बनारस के नालों का हाल ठीक नहीं हैतकरीबन 344.73 करोड़ रुपए जमीन के नीचे खर्च हो गएजब भी मूसलाधार बारिश होती है तो यहां पर विकास के दावे पर सवाल खड़े होने लगते हैंइस बार बारिश शुरू होने में अब कुछ सप्ताह ही बचे हैंशहर में जल निकासी की तैयारी को लेकर नालों से गली पिट तक की साफ सफाई की जिम्मेदारी और उनके सिल्ट को उठवाने का कार्य नगर निगम का होता हैइसके लिए नगरायुक्त द्वारा करीब अप्रैल में संबंधित विभागों को शहर के नालों की साफ सफाई के लिए आदेशित किया थाइस आदेश के बाद देर से ही सही पर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने तो नाले-नालियों की सफाई शरू करा दी, लेकिन निगम के सामान्य विभाग ने सीवर लाइन और उन बड़े नालों की सफाई शुरू नहीं की जिसमें सभी छोटे नालों का पानी जाता है.

विभाग का दावा, 90 हजार मीटर हो गई सफाई

पूरे शहर के अंदर नाले और नालियों की लंबी फौज हैयहां 270 छोटे नाले, 90 बड़े नाले और 3200 गली पिट हंैनगर स्वास्थ्य विभाग ने पिछले 15 मई से पांडेयपुर के काली माता मंदिर से इस साफ सफाई की शुरुआत की थीइस विभाग को शहरभर में कुल एक लाख 37 हजार मीटर तक नाले-नालियों की सफाई करनी हैविभाग का दावा है कि करीब 90 हजार मीटर तक सफाई कर दी गई हैशेष 47 हजार मीटर की सफाई बारिश से पहले पूरी कर ली जाएगीअधिकारियों का कहना हैं कि जी-20 के चलते पहले उन प्रमुख एरिया के नालों की सफाई कराई गई हैखैर विभागीय दावे जो भी हो, अब तो पहली बारिश ही बताएगी कि एक्चुअल में कितना काम हुआ है

सफाई के साथ सिल्ट हटाना चुनौती

नालों की साफ सफाई कराने के बाद इनकी सिल्ट को बाहर निकालकर रखना होता हैइस सिल्ट को सूखने के बाद उठाकर डिस्ट्राय किया जाता हैइसके बाद उन नाले और नालियों को ढकने का कार्य किया जाता हैकई एरिया में नालों की सफाई के बाद बाहर रखे गए सिल्ट कई दिनों तक वहीं पड़े रहते हैइसकी वजह से राहगीरों को आने-जाने में काफी परेशानी होती हैअधिकारियों का सारा ध्यान शहर में जी 20 की मीटिंग को लेकर सौन्दर्यीकरण में लगा हुआ, लेकिन जहां इस तरह की हालत है उस पर सभी मौन हैं.

पिछले वर्ष झेलनी पड़ी थी मुसीबत

शहर में छोटे नालों की लंबाई 1 लाख 37 हजार मीटर है, वहीं बड़े नालों की लंबाई 60 हजार मीटर हैपिछले साल इन नालों की साफ सफाई कराने को लेकर नगर निगम प्रशासन हांफ गया था और करीब 40 हजार मीटर की सफाई नहीं कर पाया थाउसी दौरान बारिश भी शुरू हो गई थीजिसके बाद शहर के अंदर कई इलाकों में जल जमाव की स्थिति पैदा हो गई थीइसके चलते कॉमन पब्लिक के साथ टूरिस्ट और वीवीआईपी मूवमेंट में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा था.

सामान्य विभाग अब खामोश

नगर निगम स्वास्थ्य विभाग शहर के नालों की सफाई कराने के लिए अपने मैन पावर के साथ कार्य करना शुरू कर दिया हैलेकिन सामान्य विभाग अभी खामोश मुद्रा में हैउसके द्वारा नाले और नालियों की सफाई के लिए कोई प्रयास अभी नहीं किया गया हैपहले चुनाव आचार संहिता का हवाला देकर अभी टेंडर कार्य नहीं पूरे नहीं होने का बहाना बना रहे थेलेकिन शहर की नई सरकार बन जाने के बाद भी कही भी बड़े नालों की सफाई नहीं हो रही हैअन्य विभागीय लोगों का कहना है कि सामान्य विभाग के मुख्य अभियंता एक माह से अवकाश पर चल रहे थे, जिस कारण कार्य में देरी हो रही हैअवकाश समाप्त होने के बाद अब वे मोबाइल भी नहीं उठा रहे हैं

नगर व जल निगम की रस्साकसी, भुगत रहा शहर

जल निगम और नगर निगम के बीच हमेशा से जारी रस्साकसी का खामियाजा आज पूरा शहर भुगत रहा हैवर्ष 2008 में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जेएनएनयूआरएम के तहत स्टार्म वॉटर ड्रेनेज (एसडब्ल्यूडी) परियोजना को मंजूरी दी गई थीपरियोजना का उद्देश्य जल निकासी और सीवेज लाइनों को अलग करने के अलावा शहर को जलभराव की समस्या से बचाने के साथ भूमिगत जल को रिचार्ज कर जलनिकासी की सुविधाओं में सुधार करना थापरियोजना की प्रारंभिक स्वीकृत लागत 191.62 करोड़ रुपए थीबाद में इसे संशोधित कर 252.73 करोड़ रुपए कर दिया गया था.

2011 में पूरा होना था परियोजना का काम

इसे 28 महीने में यानी दिसंबर 2008 से शुरू कर मार्च 2011 में पूरा कर देना था, लेकिन परियोजना पूरी नहीं हो सकीवहीं, जल निगम के अधिकारी दावा करते रहे कि यह परियोजना 2015 में पूरी हो गई थी और शहर के लोगों ने एक-दो साल के लिए जलभराव की समस्या से राहत का भी अनुभव किया थाहालांकि, जल निगम धनराशि की कमी के कारण एसडब्ल्यूडी लाइनों को बनाए रखने में विफल रहा

नाले की सफाई में अब तक 92 करोड़ रुपए खर्च

वाराणसी की सीवर व्यवस्था 200 साल बाद भी अंग्रेजों के जमाने में जेम्स प्रिंसेप द्वारा बनाए गए शाही नाला के भरोसे है। 2015 तक इस नाला की किसी को याद नहीं आई थीइसके बाद नाले की सफाई का काम जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की देखरेख में जापान इंटरनेशनल कोआपरेशन एजेंसी (जायका) को दिया गयाइस नाले की सफाई में 92 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। 2015 से शुरू हुआ नाला सफाई का काम 2017 में पूरा होना था, लेकिन अब भी काम जारी है

फैक्ट फाइल

267-छोटे नाले

150-गहरे वाले नाले

90-बड़े नाले

3200-गली पिट

450-ध्वस्त हो चुकी गली पिट

137000 मीटर छोटे नालों की लंबाई

60000 मीटर बड़े नालों की लंबाई

381 मैनपावर छोटे नाले-नाली साफ करने के लिए

40 से 50 दिन लगते हैं नालों की सफाई करने में

क्या हुआ अभी तक

90 हजार मीटर छोटे नाले साफ

47 हजार मीटर छोटे नाले दो सप्ताह में हो जाएंगे साफ

स्वास्थ्य विभाग के दायरे में आने वाले नालों की सफाई का कार्य युद्धस्तर पर हो रहा हैबारिश शुरू होने से पहले पूरा प्रयास है कि सभी नाले और गली पिट की सफाई करा ली जाएगी.

एनपी सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम