--क्योटो की तर्ज पर बनारस में होना है डेवलपमेंट

-बनारस आई जापानी टीम के साथ दो दिन चली वर्कशॉप के बाद भी नहीं हो सका एमओयू पर सिग्नेचर

VARANASI

बनारस सिटी को क्योटो की तर्ज पर डेवलप करने का प्रोजेक्ट अब लटक गया है। बनारस को क्योटो की तरह से साफ-सुथरा करने में अभी काफी वक्त लगेगा। क्योंकि बनारस-क्योटो के बीच कई प्रोजेक्ट को लेकर जिस एमओयू पर सिग्नेचर होना था वो नहीं हो पाया। इसकी वजह जापानी टीम की तैयारी पूरी नहीं तो भारत सरकार की ओर से जापानी टीम को मिलने वाले सहयोग में कमी भी बतायी गयी। इस पर अब मार्च तक सिग्नेचर होने की उम्मीद है। शहरी विकास राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने बताया कि मार्च ख्0क्म् में डीपीआर तैयार होने के बाद सिग्नेचर होगा।

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय, जापानी टीम व स्थानीय नगर निगम प्रशासन के बीच दो दिनों की मैराथन मंथन का कोई नतीजा नहीं निकला। बनारस और जापान के बीच केवल मिट्स ऑफ वर्क का आदान-प्रदान हो सका। जापान के पास विकास का कोई रोड मैप नहीं था और पूरी कवायद सर्वे रिपोर्ट तक सीमित रही।

गंगा में रिकॉर्ड तोड़ प्रदूषण

गंगा निर्मलीकरण प्रोजेक्ट से संबंधित संस्था एनजेएस कंसल्टेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर ताकाशी फूजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि गंगा मानक से पांच गुना ज्यादा पॉल्यूटेड है। यानी क्म् मिलीग्राम प्रति लीटर मापा गया है। कॉरपोरेशन की रिपोर्ट में जनरल मैनेजर इचिरो कोनो ने जानकारी दी कि ब्ख् परसेंट यानी 9म् एमएलडी मलजल सीधे गंगा में जा रहा है। शहर में डेली ख्फ्फ् एमएलडी मलजल उत्सर्जित हो रहा है। ठोस कचरा प्रबंधन के हालात तो और भी भयानक हैं। रिपार्ट में जानकारी दी गई कि शहर में म्00 टन कचरा प्रतिदिन निकलता है जबकि महज ब्80 टन का ही निस्तारण हो पाता है। डेली क्ख्0 टन कचरा बैकलाग में रह जाता है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट प्रॉपर काम नहीं कर रहा है। जापानी दूतावास के डिप्टी चीफ यूताका किकूटा ने बताया कि बनारस को क्योटो की तर्ज पर विकास होने से इस सिटी के प्रति टूरिस्ट्स का रुझान बढे़गा। इस दौरान जायका चीफ रिपे्रजेंटेटिव टाकेमा साकामोटो ने आगामी योजनाओं पर प्रकाश डाला।

इसमें जापानी टीम के साथ कचरा व सीवेज ट्रीटमेंट, जलापूर्ति और जल निकासी की मुकम्मल व्यवस्था के साथ ही पक्का महाल, सारनाथ सहित अन्य हेरिटेज जोन के विकास पर बातचीत हुई। टूरिज्म इंड्रस्ट्री को बढ़ावा, गंगा किनारे रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, पार्किंग, हाईटेक ट्रांसपोर्ट और जीरो होर्डिग पालिसी पर मंथन हुआ। काशी व क्योटो के बीच एक दूसरे की व्यवस्थाओं वाले मेले और प्रदर्शनी लगाने के साथ ही नगर निगम की वर्किग स्टाइल को क्योटो की तरह विकसित करने आदि बिंदुओं पर चर्चा हुई।

शहर में जो भी विकास कार्य हो वह प्रॉपर तरीके से हो। इसलिए एमओयू पर सिग्नेचर से पहले हर प्रोजेक्ट का डीपीआर तैयार होगा।

बाबुल सुप्रियो, राज्यमंत्री शहरी विकास मंत्रालय

'सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट से लगायत अन्य कार्यो के लिए जापानी टीम के पास अभी रोड मैप तैयार नहीं है। वह कैसे और क्या-क्या करेंगे इसके बारे में वह कोई प्रोजेक्ट नहीं पेश कर पाये। इस कारण अनुबंध नहीं हो सका। हम कुछ बिंदुओं पर काम कर रहे हैं।

राम गोपाल मोहले, मेयर बनारस।