वाराणसी (ब्यूरो)रमापति सिंह की हत्या के बाद तत्कालीन सीओ ने सैदपुर कोतवाली में दोनों पक्षों को बुलाकर सुलह की पहल की, लेकिन बात नहीं बन सकीइस खूनी जंग में भितरी बाजार में गोली चली तो त्रिभुवन सिंह के पक्ष के गिरीश राय व मकनू सिंह के पक्ष के सिपाही डहन गांव निवासी पारस सिंह की हत्या हुईबदले की आग यही नहीं बुझीत्रिभुवन के दो भाइयों वीरेंद्र सिंह व रामविलास सिंह को सैदपुर आते समय मुडिय़ार में गोलियों से भून दिया गयाएक बार फिर आरोप साधू सिंह, हरिहर सिंह आदि पर लगा.

हत्याओं का दौर शुरू

इस घटना के बाद मकनू सिंह पर जानलेवा हमला हुआ, उनके जांघ पर गोली लगी लेकिन वह बच गएबाद में त्रिभुवन सिंह के सबसे बड़े भाई हवलदार राजेंद्र सिंह की वाराणसी पुलिस लाइन में गोली मारकर हत्या कर दी गईइस हत्या का बदला लेने के लिए त्रिभुवन सिंह के पक्ष से फायरिंग सिंचाई विभाग कालोनी गाजीपुर में हुई जिसमें मकनू सिंह की सांसे टूट गईमाफिया बृजेश सिंह का साथ त्रिभुवन सिंह को मिल चुका था

मिला बृजेश का साथ

बृजेश के साथ मिलकर त्रिभुवन सिंह के पक्ष के लोगों ने एक ही दिन में तीन लोगों की हत्या कीसाधू सिंह को जिला पुलिस जेल से अस्पताल ले जा रही थी, पुलिस कस्टडी में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गईचर्चाओं की माने तो इसी कांड को अंजाम देने के लिए बृजेश सिंह ने पुलिस की वर्दी का सहारा लिया थाइसी दिन मुडिय़ार गांव के खेंदन सिंह व दामोदर सिंह की हत्या हो गई थीइस हत्याकांड में त्रिभुवन सिंह, साहब सिंह, देवनाथ यादव, सुरेंद्र सिंह, विजयशंकर सिंह आदि नाम हुए थेइस घटना के कई वर्षों बाद 2003 में त्रिभुवन सिंह के भतीजे अनिल सिंह व राहुल सिंह के अलावा राहुल यादव की सैदपुर सीएचसी के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई जिसका आरोप मुख्तार गैंग पर लगाकुछ वर्षों पहले करीब 2009 में त्रिभुवन सिंह गिरोह के दलसिंगार राजभर को धुवार्जुन पुलिया के पास गोलियों से छलनी कर दिया गयाविजयशंकर सिंह की माने तो इस गैंगवार में दोनों पक्षों से करीब डेढ़ दर्जन लोगों की हत्या हुई थी.

दोनों पक्ष अब जोतते हैं अपना खेत

कई हत्याओं के बाद दोनों पक्षों ने आपसी कथित सुलह किया, जिसके बाद चार बीघा वाला प्लाट मकनू सिंह के परिवार के जिम्मे आया और तीन बीघा आठ बिस्वा छह धूर वाला प्लाट त्रिभुवन सिंह के जिम्मे आयादोनों पक्ष अब अपनी-अपनी जमीन पर खेती करते हैंग्रामवासियों की माने तो दोनों पक्षों में सुलह तो हो गया है, लेकिन बदले की आग अब तक पूरी तरह शांत नहीं हुई है.