-आरटीओ में डीएल के लिए ऑनलाइन टेस्ट शुरू होने से शौकिया डीएल चाहने वालों पर लगी लगाम

-पहले मैनुअल टेस्ट में आसानी से हो जाते थे पास

-अब टै्रफिक रूल्स व कंप्यूटर की जानकारी रखने वालों को ही मिल पा रहा लाइसेंस

VARANASI

जब मैनुअली टेस्ट होता था तो आसानी से लोग पास हो जाते थे, पर जब से ऑनलाइन हुआ है तब से फेल होने वालों की संख्या बढ़ गयी है। यहां बात आरटीओ के ड्राइविंग लाइसेंस की हो रही है। डिपार्टमेंट में पहले डीएल बनवाने के लिए मैनुअली टेस्ट देना होता था, लेकिन अब डीएल चाहने वालों का ऑनलाइन टेस्ट लिया जा रहा है। जिससे आलम यह हो गया है कि बहुत सारे लोग पास ही नहीं हो पा रहे हैं। डीएल के लिए फॉर्म भरने वालों में से अधिकतर फेल हो जा रहे हैं। इसके पीछे कई वजहें हैं। जिसके चलते लोग टेस्ट में पास नहीं हो पा रहे हैं।

क्0 परसेंट का बन रहा लाइसेंस

ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में दलालों की दखलंदाजी पर बे्रक लगाने के लिए डिपार्टमेंट ने पूरे सिस्टम को ऑनलाइन कर दिया है। इसके तहत रजिस्ट्रेशन कराने, फॉर्म भरने से लेकर टेस्ट तक ऑनलाइन हो रहा है। इससे दलालों पर नकेल तो लग गयी है। लेकिन डीएल बनने की संख्या कम हो गयी है। ऐसा नहीं कि डीएल चाहने वालों की संख्या कम हो गयी है पर वो प्रॉसेस में पिछड़ जा रहे हैं। स्थिति यह है कि डेली फॉर्म भरने वालों में महज क्0 परसेंट का ही ड्राइविंग लाइसेंस बन पा रहा है। यदि सौ लोग फॉर्म भर रहे हैं तो मात्र दस लोगों को ही डीएल नसीब हो पा रहा है। बाकी ट्रैफिक के साधारण रूल्स से रिलेटेड क्वेश्चंस का जवाब न दे पाने के कारण फेल हो जा रहे हैं। जबकि पहले मैनुअल टेस्ट के दौर में दलाल इन्हें पास कराने में कामयाब हो जाते थे।

सही हाथ में पहुंच रहा डीएल

येन केन प्रकारेण डीएल पाने का फंडा अब दूर की कौड़ी हो गया है। ऑफिसर्स के मुताबिक अब उनका ही ड्राइविंग लाइसेंस बन पा रहा है जिनको ट्रैफिक रूल्स और कंप्यूटर की जानकारी है। जिनका इनसे नाता नहीं है उन्हें एक वीक बाद फिर से मौका दिया जा रहा है।

ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए सिस्टम के ऑनलाइन होने से शौकिया लाइसेंस बनवाने वालों पर रोक लग गयी है। जो टै्रफिक रूल्स की जानकारी और कंप्यूटर जानते हैं उनका ही डीएल बन पा रहा है।

ओपी सिंह, इंचार्ज

सिटी ऑफिस