वाराणसी (ब्यूरो)आधा दिसंबर धीरे-धीरे गुजर गयाकाशी विद्यापीठ में तमाम कोशिशों के बाद भी दाखिले की प्रकिया पूरी नहीं हो सकी हैविवि द्वारा विभिन्न पाठ्यक्रमों में निर्धारित सीटों के सापेक्ष प्रवेश के लिए एक के एक तीन बार पोर्टल को खोला गया, लेकिन आशातित सफलता नहीं मिलीइन दिनों उर्दू, संस्कृत, दर्शनशास्त्र, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, एनजीओ मैनेजमेंट, मानव संशाधन विकास, कन्नड़ और रसियन आदि के कोर्सेज में निर्धारित सीटों के सापेक्ष बहुत कम स्टूडेंट्स ने प्रवेश लिया हैया यूं भी कहा जा सकता है कि ग्लोबल पीरियड में जॉब ओरिएंटेड, प्रोफेशनल, वोकेशनल और स्कोप वाले कोर्सों में स्टूडेंट्स की खासा दिलचस्पी की वजह से ट्रेडिशनल कोर्सेस रूचि कम देखने को मिल रही हैइन कोर्सेस में लगभग 200 से अधिक सीटे खाली जा रही हैइससे विवि प्रशासन सकते हैैं

तीसरी बार खोलना पड़ा पोर्टल

कभी शैक्षिक सत्र तो कभी रिजल्ट की घोषणा में देरी आदि से काशी विद्यापीठ प्रशासन की छवि की किरकिरी कोई नई बात नहीं हैकाशी विद्यापीठ में उक्त कोर्सेस में नव प्रवेशी स्टूडेंटस के मिड सेमेस्टर के एग्जाम के एग्जाम की तिथियों होनी चाहिए थीऐसे में अब तक एक के बाद एक तीसरी बाद डेट बढ़ाकर विवि प्रशासन कई कोर्सेस की खाली पड़ी सीटों को मानक के अनुरूप भरने की कयावद में जुटा हुआ हैकुलसचिव के मुताबिक गत 16 दिसंबर तक पीजी और पीजी डिप्लोमा कोर्सेस के आठ पाठ्यक्रमों के लिए एडमिशन पोर्टल खोला गया थाइस कोर्सेस की रिक्त सीटों पर प्रवेश मेरिट के आधर पर किए जाने की व्यवस्था है

इन कोर्सेज की हैैं रिक्त सीटें

विवि में कोर्सेज की बात करें तो कई बार प्रक्रिया के बाद भी गत वर्ष की भांति इस वर्ष विद्यापीठ में दाखिला अब तक पूर्ण नहीं हो सका हैनिर्धारित सीटों के सापेक्ष सीटें नहीं फुल होने वाले कोर्सेज में पीजी और पीजी डिप्लोमा में संस्कृत, दर्शन, उर्दू, कन्नड़, आइआरपीएम, रूरल डेवलपमेंट, रसियन, सहित कई कोर्स शामिल है

पहले भी उक्त कोर्स की जो सीटें खाली जाती रही हैइनपर मेरिट के बाद भी खाली रहने पर ऑफलाइन प्रोसेस से इन सीटों को भरने का प्रयास विवि के नियम के दायरे में रहकर किया जाएगा.

नवरत्न सिंह, पीआरओ, काशी विद्यापीठ