-500 व 1000 के नोटबंदी के बाद रूपयों की क्राइसिस से जूझ रहे संस्कृत यूनिवर्सिटी के हॉस्टलर्स ने बढ़ाया एक दूसरे की मदद का हाथ

-हॉस्टल में कई स्टूडेंट्स का राशन खत्म होने के बाद मिलजुल कर बना रहे भोजन

VARANASI

संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स का घर से लाया राशन खत्म हो गया है। हालांकि दूर दराज के कई स्टूडेंट्स के पास पांच सौ व एक-एक हजार के नोट अब भी बचे हुए हैं। लेकिन नोट बंदी के कारण वह चावल, दाल, आटा नहीं खरीद पा रहे हैं। साथियों से उधार आटा लेकर फिलहाल रोटी बना रहे हैं। यह तो एक बानगी है। हॉस्टल में ऐसे कई स्टूडेंट हैं जो साथियों के भरोसे अपने चूल्हे पर रोटी पका रहे हैं। यदि साथी न होते तो शायद उनको भूखा ही सोना पड़ता।

काश मेस होता

प्राच्य विद्या के केंद्र संस्कृत यूनिवर्सिटी में हॉस्टल तो है पर मेस की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यहां रहने वाले स्टूडेंट्स खुद खाना बनाते हैं। ज्यादातर स्टूडेंट्स घर से राशन लाते हैं। इसके लिए वह आए दिन घर जाते रहते हैं। इनमें कई स्टूडेंट्स का राशन समाप्त हो गया है। हालांकि हॉस्टल के छात्र एक-दूसरे का भरपूर सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें खाने की कोई खास परेशानी नहीं है। नवीन हॉस्टल में रहने वाले छात्रों ने कहा कि राशन का तो इंतजाम हो गया है पर उधारी पर कोई सब्जी देने को तैयार नहीं है। वहीं इंटरनेशनल हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स का कहना कि इन दिनों मिलजुल कर भोजन बनाया जा रहा है।