-चोलापुर में कच्ची दीवार गिरने से मलबे में दबकर दो मासूमों की मौत

- एक ही चिता पर हुआ अंतिम संस्कार

VARANASI

खेती-किसानी करने वाले प्रदीप चौबे के घर भी दीपावली की तैयारी जोश-खरोश से चल रही थी। सबसे अधिक उत्साह आठ वर्ष की बेटी स्वाति व दो वर्ष के बेटा सार्थक में था। लेकिन परिवार की खुशियों को किसी की नजर लग गयी। दीपों के पर्व के पहले ही घर के चिराग बुझ गए। घर के बाहर खेल रहे मिट्टी की दीवार गिरने से उसके मलबे में दबकर भाई-बहन की मौत हो गई। दीपावली के एक दिन पहले शनिवार को चोलापुर थाना क्षेत्र के अजगरा गांव में हुई घटना से क्षेत्र में मातम पसर गया। चंद्रावती घाट पर दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया।

देखते रह गए दादा-दादी

प्रदीप चौबे के तीन बच्चे थे। खेती-किसानी से परिवार की जरुरतें पूरी होती हैं। तीज-त्योहार हंसी-खुशी मनाते थे। दीपावली की तैयारी भी जोरदार तरीके से चल रही थी। महिलाएं घर को साफ-सुथरा करके सुंदर बनाने में लगी थीं। प्रदीप सजावटी सामान और पटाखे आदि लेकर आए थे। बच्चे रंगोली और दीपक सजाने की योजना बना रहे थे। सुबह स्वाति और सार्थक घर के बाहर खेल रहे थे। पास में ही उनकी दादी उपले पाथ रही थी। दादा शिवराम चौबे भैंस का दूध निकाल रहे थे। काम में व्यस्त होने के बावजूद दोनों की नजर बच्चों पर थीं। तभी अचानक पड़ोस के सूबेदार पांडेय के खंडहरनुमा घर की मिट्टी की दीवार भरभराकर गिर गई। दोनों मासूम मलबे में दब गए।

थम गयी बच्चों की सांस

बच्चों के मलबे में दबने से दादा-दादी चीख निकल पड़ी। शोर-शराबा सुनकर माता-पिता के साथ गांव के लोग दौड़ते-भागते मौके पर पहुंचे। आनन-फानन में मलबे को हटाकर बच्चों को बाहर निकाला गया लेकिन तब तक दोनों की सांस थम चुकी थी। सूबेदार की दीवार दस वर्ष पहले भी एक बार गिर चुकी है। उसके बावजूद वह उसी में मरम्मत कराके परिवार संग रहता है। हादसे के बाद मासूमों की मां कंचन का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। वह कई बार बेहोश भी हो गई। नाते-रिश्तेदार उन्हें सांत्वना दे रहे थे।