आई शॉकिंग

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-उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में 29.2 फीसदी मौतें हुईं

-सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के सर्वे में सामने आई सच्चाई

DEHRADUN:

बेहद चौंकाने वाली बात सामने आई है कि उत्तराखंड में भ्0 फीसदी बीमार लोगों को इलाज ही नहीं मिलता। ये कड़वी सच्चाई सामने आई है सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के सर्वे में। एसआरएस के ख्0क्ब् में किए गए सर्वे के आंकड़े हाल ही में जारी हुए हैं जो बेहद चौंकाने वाले हैं। इलाज के अभाव में मौतों का आंकड़ा बेहद डराने वाला है। सर्वे के आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में ख्9.ख् फीसदी मौतें हुईं जबकि प्राइवेट अस्पतालों का ये आंकड़ा ख्0.9 फीसदी रहा। आपको बता दें कि एसआरएस हर साल मौत और जन्म के आंकड़ों का सर्वे करता है। ये सर्वे देश के ख्ख् बड़े राज्यों में किया जाता है जिनकी आबादी क्0 मिलियन या इससे ज्यादा है।

न डॉक्टर, न व्यवस्थाएं

सच्चाई ये है कि उत्तराखंड का स्वास्थ्य ढांचा बेहद खराब है। पहाड़ ही नहीं मैदानी इलाकों में भी न पूरे डॉक्टर हैं और न ही स्वास्थ्य व्यवस्थाएं। ग्रामीण इलाकों में न तो सरकारी अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर हैं और न प्राइवेट क्लीनिक। इसलिए रूरल एरिया में इलाज के अभाव में मौतों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। उत्तराखंड में ख्फ्ख्क् स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें क्9क्7 उपकेंद्र हैं जबकि ख्9फ् प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनके अलावा म्ब् कॉम्युनिटी हेल्प सेंटर्स हैं। राज्य में प्राइवेट डॉक्टर्स की संख्या ख्000 के करीब है और क्भ्00 प्राइवेट क्लीनिक हैं। हालात ये हैं कि सरकारी अस्पतालों में म्0 फीसदी डॉक्टरों की कमी है।

चिंताजनक हैं आंकड़े

एसआरएस के सर्वे के मुताबिक वर्ष ख्0क्ब् में क्0.9 लोगों की मौत इसलिए हुई क्योंकि उनका इलाज अनट्रेंड स्टाफ के हवाले छोड़ दिया गया था। जबकि फ्9 फीसदी लोगों को मौत से पहले क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स ने ट्रीटमेंट दिया था।

प्वाइंटर्स

-ख्9.ख् प्रतिशत मौतें सरकारी अस्पतालों में

-ख्0.9 प्रतिशत मौतें प्राइवेट अस्पतालों में

-क्0.9 प्रतिशत मौतें अनट्रेंड स्टाफ के हाथों

-म्0 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी है राज्य में

उत्तराखंड में आज भी म्0 प्रतिशत के करीब डॉक्टर्स की कमी है। जिस वजह से स्वास्थ्य सुविधाएं ढर्रे पर नहीं आ रही है। साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में जब मरीज को रेफर किया जाता है तो यातायात व्यवस्था दुरुस्त न होने की वजह से मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता है।

डॉ। पंकज शर्मा, जिलाध्यक्ष, प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ