दिवाली से पहले मिलेगा वेतन और बोनस, राज्य स्थापना दिवस पर मिल सकता है सातवें वेतन आयोग का लाभ

-साढे़ चार लाख कर्मचारियों पर टिकी हैं हरीश रावत सरकार की निगाहें

- त्योहार से पहले वेतन-बोनस के लिए सीएस से मिले कर्मचारी, पूरी हुई मांग

DEHRADUN: सरकार राजकीय कर्मचारियों को त्योहार और चुनावी बेला का अहसास कराने में जुट गई है। करीब साढे़ चार लाख कर्मचारियों का सरकार खास ख्याल रख रही है, ताकि सरकार पर उसकी नजरें इनायत रहें। इसी क्रम में सरकार ने दिवाली से पहले ही उन्हें वेतन और बोनस देने का निर्णय ले लिया है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ दिवाली से पहले देने की कोशिश में तो सरकार कामयाब नहीं हो पा रही है, लेकिन यह पुरजोर कोशिश है कि राज्य स्थापना दिवस से यह लाभ कर्मचारियों को मिल जाए।

सीएस से मिले, तो मांग हो गई पूरी

इस बार दिवाली फ्0 अक्टूबर को है यानी महीने के एकदम आखिर में। कर्मचारियों को वेतन किसी भी महीने के पहले सप्ताह में मिलता है। कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह से मुलाकात की थी और वेतन-बोनस पहले देने की मांग की थी। सीएस ने कर्मचारियों की यह मांग पूरी कर दी है। इस संबंध में निर्देश जारी किए जा रहे हैं।

बढ़ा वेतन देने की कवायद तेज

राजकीय और निगम कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ देने के लिए सरकार तेजी से काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार, सरकार की ये कोशिश थी कि दिवाली पर इसका लाभ कर्मचारियों को दे दिया जाता, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। इसलिए यह कोशिश की जा रही है कि राज्य स्थापना दिवस यानी नौ नवंबर को कर्मचारियों को ये तोहफा दे दिया जाए।

बीजेपी ने भी की थी कोशिश

ख्009 में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने भी कर्मचारियों को लुभाने के लिए इसी तरह की कोशिश की थी। उस वक्त लोकसभा चुनाव होने थे और बीसी खंडूड़ी सीएम थे। छठवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ देने के लिए बीजेपी सरकार ने भी चुनाव से पहले का समय चुना, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं मिल पाया। बीजेपी लोकसभा की पांचों सीटों पर चुनाव हार गई थी। अब हरीश रावत विधानसभा चुनाव से पहले कर्मचारियों के लिए इसी तरह की कोशिश करती दिख रही है।

फ्00 करोड़ का सालाना बोझ

हरीश रावत सरकार इसी बंदोबस्त में लगी हुई है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से पड़ने वाले आर्थिक बोझ के लिए किस तरह की व्यवस्था की जाए। अनुमान है कि सालाना फ्00 करोड़ का अतिरिक्त बोझ सरकार के कंधों पर आएगा। राज्य में राजकीय कर्मचारियों की संख्या करीब दो लाख है। निगम कर्मचारियों को भी इसमें शामिल कर लिया जाए, तो यह संख्या करीब साढे़ चार लाख बैठती है। वित्त सचिव अमित सिंह नेगी के अनुसार, कर्मचारियों को बढ़ी हुई तनख्वाह का लाभ देने के लिए सारे बिंदुओं का अध्ययन किया जा रहा है।