- वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के हिमनद विशेषज्ञ डीपी डोभाल कर रहे हैं इसकी अगुआई

RUDRAPRAYAG: चौराबाड़ी ग्लेशियर की तलहटी में झील की असलियत पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों की टीम वेडनसडे को मौके के लिए रवाना हो गया। थर्सडे को टीम के लौटने की उम्मीद है।

ग्लेशियर की तलहटी में हैं छोटे-छोटे ताल

पिछले दिनों सामने आया था कि केदारनाथ से करीब पांच किलोमीटर दूर चौराबाड़ी ग्लेशियर की तलहटी में फिर से झील बन गई है। वर्ष 2013 में यही बनी झील केदारनाथ आपदा की वजह मानी गई थी। हालिया सूचनाओं को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने वास्तविकता का पता लगाने के लिए आपदा प्रबंधन की टीम मौके पर भेजी थी, लौटने पर उसने वहां ऐसी कोई झील नजर नहीं आने की रिपोर्ट दी थी। आपदा प्रबंधन की टीम ने अपनी रिपोर्ट में इतना जरूर उल्लेख किया था कि ग्लेशियर की तलहटी में छोटे-छोटे ताल हैं, इसमें हमेशा ही पानी रहता है। इस बार बर्फबारी ज्यादा होने से इनमें अपेक्षाकृत पानी ज्यादा जमा है। जिलाधिकारी ने वाडिया हिमालयन भू विज्ञान संस्थान से भी उक्त क्षेत्र का अध्ययन करने का आग्रह किया था। इस पर हिमनद विशेषज्ञ डा। डीपी डोभाल के नेतृत्व में चार सदस्यीय अध्ययन टीम बीते रोज केदारनाथ पहुंची। इसमें दो वैज्ञानिक और एक टेक्निकल अफसर शामिल हैं। वेडनसडे सुबह यह टीम चौराबाड़ी ग्लेशियर के लिए रवाना हुई। संस्थान के निदेकश कलाचंद सांइ और रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल ने इसकी पुष्टि की। निदेशक सांइ ने बताया कि टीम इस ग्लेशियर की तलहटी में स्थिति का अध्ययन करेगी। तीन दिन के दौरे के बाद थर्सडे को टीम वापस लौटेगी। इसके बाद असल स्थिति का पता चलेगा।