-पिछले दस दिनों से कई संस्थाएं चला रही हैं अभियान

-अभियान में स्थानीय लोग भी बढ़-चढ़कर कर रहे हैं श्रमदान

-संस्थाओं को निगम की ओर से नहीं मिल रही कोई मदद

HARIDWAR (JNN) : पिछले दस दिनों से शहर में सफाई अभियान जोरों पर है। चूंकि छोटी दीपावली पर गंगा में फिर से पानी बढ़ जाएगा, इस लिए सफाई अभियान को लेकर लोगों का ध्यान गंगा और उसके आसपास के क्षेत्रों में अधिक है। इस पूरे अभियान में नगर निगम की ओर से अब तक कोई पहल नहीं हुई है। इस कारण कई महत्वपूर्ण स्थानों पर गंदगी अब भी गंदगी पसरी है।

अभियान से दूर है निगम

हर रोज शहर की कई संस्थाएं अपने स्तर पर अभियान चलाकर गंगा, घाटों व आसपास के स्थानों को साफ कर रहे हैं। कुछ घंटों के अनियोजित श्रमदान से कूड़ा तो जमा हो रहा है पर सफाई नजर नहीं आ रही। फिलहाल शहर की सफाई का जिम्मा उठाने वाला नगर निगम इस अभियान से दूर ही नजर आ रहा है। ले देकर नगर निगम की मशीनरी अभियान में सिर्फ कूड़ा उठवाने तक ही सीमित है। आलम यह है कि पावन धाम के पास हाइवे, डामकोठी के शुरू हो रही नहर पटरी पर कूड़े और पॉलीथिन के कचरे के अंबार लगे हुए हैं। ऋषिकुल से प्रेमनगर आश्रम तक गंगा किनारे बसी कॉलोनियों के आसपास तो गंदगी के इतने ढेर लगे हैं कि नाक पर हाथ रखकर भी गुजरना मुहाल है।

निगम को फुर्सत नहीं

दूसरी ओर, जब से स्वयंसेवियों ने सफाई अभियान शुरू हुआ है, तब से नगर निगम ने शहर में गंदगी देखनी ही बंद कर दी है। ऊपर से अधिकारियों का यह कहना है कि कर्मचारियों को श्रमदान से निकलने वाला कचरा उठाने से ही फुर्सत नहीं मिल पा रही है। अभियान से इधर भी देखें तो कुंभ के दौरान बनाए गए नए घाटों की साफ सफाई की जिम्मेदारी भी नगर निगम के पास है, लेकिन घाटों की हालत देखकर नहीं लगता कि यहां महीने भर से भी किसी ने सफाई की होगी। उल्टा, निगम ने स्वयंसेवी संस्थाओं से अपील की ही है कि वे वृहद स्तर पर गंगा और घाटों की सफाई के लिए अभियान चलाएं। लोग तो जो कर रहे वह तो श्रमदान है पर सरकारी तनख्वाह लेने वाले जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए भागीदारी निभाएं तो ही यह अभियान सफल हो सकेगा।

'जल्द ही नगर निगम की ओर से सफाई अभियान चलाया जाएगा। हालांकि घाटों की सफाई के लिए कर्मचारी नियुक्त हैं, जो नियमित रूप से सफाई करते हैं.'

-मनोज गर्ग, मेयर, हरिद्वार नगर निगम

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