-नकरौंदा में हाथियों ने फिर मचाया उत्पात

-हाथियों ने रौंद दी कई बीघा गेहूं की फसल

-हाथियों के उत्पात से परेशान हैं ग्रामीण

-वन विभाग पर मुआवजा न देने का आरोप

>DEHRADUN: सरकारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, ये आंकडे़ झूठे हैं, दावे किताबी है। आमजन के कवि अदम गौंडवी की ये लाइनें देहरादून के नकरौंदा क्षेत्र में किसानों की हालत पर एकदम सटीक हैं। एक ओर वन विभाग किसानों की फसलों की सुरक्षा के लिए तमाम इंतजाम करने, नुकसान का मुआवजा देने का दावा कर रहा है, वहीं हाथी रोजाना उनकी फसलों को तबाह कर रहे हैं। वन विभाग न हाथियों को जंगल से आबादी में आने से रोक पा रहा है और न ही किसानों को उनकी फसलों का मुआवजा मिल रहा है।

गेहूं की फसल पर टूट रहा कहर

नकरौंदा में पहले हाथियों ने जमकर गन्ने की फसलों को तबाह किया था, अब हाथियों का यह कहर गेहूं की फसल पर टूट रहा था। किसानों ने मेहनत कर गेहूं की फसल को उगाया। अब तैयार इस फसल को जंगली हाथियों का झुंड पैरों तले रौंद रहे हैं।

खाई खोदी, फिर भी नहीं रुक रहे हाथी

एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब वन विभाग ने जंगल की सीमा पर खाई खोद दी है, तो हाथी किस रास्ते किसानों की फसलों तक पहुंच रहे हैं। ग्रामीण यहां तक आरोप लगाते हैं कि जंगल क्षेत्र में खनन के लिए यह खाई पाट दी जाती है। इसी रास्ते हाथी फसलों तक आ जाते हैं।

हाथियों के पांच झुंड मचा रहे तबाही

नकरौंदा क्षेत्र में हाथियों के चार से पांच झुंड तबाही मचा रहे हैं। एक झुंड में पांच से सात हाथी तक हैं। हाथियों के झुंड एक साथ कई-कई खेतों में घुस जाते हैं और फसल को भारी नुकसान पहुंचाते हैं।

पटाखों से भी नहीं डरते हाथी

हाथियों के बदलते व्यवहार को लेकर किसान बहुत परेशान हैं। पहले हाथी पटाखों से डरकर वापस जंगल क्षेत्र में लौट जाते थे, लेकिन अब हाथियों ने पटाखों की आवाज से डरना बंद कर दिया है। यही कारण है कि किसानों की लाख कोशिशों के बाद भी हाथी नहीं भागते। वहीं दूसरी ओर किसानों का आरोप है कि उनकी फसलों के नुकसान का वन विभाग कोई मुआवजा भी नहीं दे रहा है।

रात में कभी भी हाथियों के झुंड खेतों में घुस जाते हैं। वन विभाग के अधिकारियों को फोन करते हैं, लेकिन वह समय से नहीं पहुंचते।

--सरदार सूरत सिंह, किसान

----

पहले पटाखों की आवाज से हाथी डर जाते थे, लेकिन अब नहीं डरते। इस कारण हाथियों को भगाना मुश्किल हो रहा है।

--कुलदीप सिंह, किसान

---

वन विभाग ने जो खाई खुदवाई है, उसे खनन के लिए पाट दिया जाता है। इस रास्ते ही हाथी खेतों तक पहुंचते हैं। खनन पूरा होने के बाद इसे फिर से खोल दिया जाता है।

--सुभाष जोशी, किसान

---

वन अधिकारी फसलों के नुकसान के फोटो ले जाते हैं। फसलों की सुरक्षा का दावा करते हैं, लेकिन न तो मुआवजा मिलता है और न ही फसलों को सुरक्षा।

--सरदार लखवीर सिंह, किसान

---

कई बार ग्रामीण एकत्र होकर हाथियों को भगाते हैं। वन अधिकारी भी मौके पर जा जाते हैं, लेकिन हाथी अब नहीं डर रहे हैं। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

--रोहित पांडेय, किसान

---

फोटो- इन में हैं, इ और कोट्स के नाम से हैं