सरकार से मांगा तीन हफ्ते में जवाब, कहा-गुमराह कर रहा शिक्षा विभाग

-सरकार ने लिया था दोबारा नियुक्ति देने का फैसला

-अदालत ने शासनादेश के क्रियान्वयन पर लगाई रोक

नैनीताल

हाई कोर्ट ने स्टेट में गेट्स टीचर्स की नियुक्ति पर रोक लगा दी है। इस बारे में अदालत ने राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब तलब किया है। पिछले दिनों कैबिनेट ने फैसला किया था कि गेस्ट टीचर्स की दोबारा बहाली की जाएगी। हाईकोर्ट के इस फैसले को सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

कोर्ट ने जताई नाराजगी

हाईकोर्ट ने सरकार के प्रति गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने गेस्ट टीचर्स को दोबारा एप्वाइंट किए जाने के सरकार के शासनादेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सरकार के अतिथि शिक्षकों को अल्पकालिक बताते हुए बार-बार नियुक्ति पर गहरी नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा है कि शिक्षा विभाग इस मामले में कोर्ट को गुमराह कर रहा है। कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह में इस बाबत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

कोर्ट में डाली गई थी याचिका

ऋषिकेश निवासी आलोक तोमर व नैनीताल निवासी ममता पंत ने याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ने 25 मई को अतिथि शिक्षकों को पुनर्नियुक्ति करने संबंधी शासनादेश जारी कर दिया है, जबकि लंबे अर्से से नियमित नियुक्ति नहीं की जा रही है। नए शासनादेश के अनुसार अतिथि शिक्षक पद के चयनित अभ्यर्थी को प्रदेश में किसी भी विद्यालय के लिए योग्य मान लिया गया है, जो नियम विरुद्ध है। न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार द्वारा जारी शासनादेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने चार हजार से अधिक अतिथि शिक्षकों की दोबारा नियुक्ति का फैसला लिया है।

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खूब हुई थी राजनीति

सरकार द्वारा 6200 गेस्ट टीचर्स को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद हाईकोर्ट ने भी इस आदेश पर मुहर लगा दी थी। जिसके बाद गेस्ट टीचर्स ने आंदोलन शुरू कर दिया। राष्ट्रपति शासन के दौरान 10 अप्रैल से शुरू हुए आंदोलन पर जमकर राजनीति हुई। उस वक्त निवर्तमान सीएम हरीश रावत ने भी शिक्षकों को पुनर्नियुक्ति का आश्वासन देते हुए राज्यपाल को पत्र लिखा था। इसी कड़ी में सरकार बनने के बाद करीब 4000 खाली पदों पर गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति देने का कैबिनेट ने फैसला किया था।