आई शॉकिंग

- राजधानी में लगातार बढ़ रहे हैं दहेज उत्पीड़न के मामले

- कुल मामलों में करीब 40 परसेंट मामले पाए गए फर्जी

- दहेज उत्पीड़न से संबंधित कानूनों का हो रहा दुरुपयोग

DEHRADUN: सूबे की राजधानी में दहेज उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, पिछले तीन सालों के आंकड़ों पर ही नजर दौड़ाएं तो ऐसे मामलों में दो गुना से भी ज्यादा इजाफा हुआ है, लेकिन इसके पीछे की हकीकत कुछ और है। जानकारों का दावा है कि दहेज की कुप्रथा को खत्म करने के मकसद से बनाए गए नियमों को जमकर दुरुपयोग हो रहा है, जो दहेज उत्पीड़न के मामलों में इजाफा होने का एक बड़ा कारण है। दहेज उत्पीड़न के कुल मामलों में से ब्0 प्रतिशत मामले फर्जी पाए गए।

काउंसिलिंग की होती है कोशिश

महिला हेल्पलाइन प्रभारी संध्या रानी बताती हैं कि कुछ मामलों में काउंसलिंग के लिए हेल्पलाइन आने वाले पति-पत्‍‌नी के बीच अगर समझौता नहीं हो पाता, तो वकील की सलाह पर महिला पक्ष दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज करवा देता है। कई मामलों में प्रारंभिक जांच के बाद ही मुकदमा वापस हो जाता है।

प्रदेश की तुलना में आधे दून से मामल

पुलिस विभाग के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो स्थिति हैरान करने वाली है। उत्तराखंड में जितने भी दहेज उत्पीड़न के मामले दर्ज हुए हैं उनमें से भ्0 परसेंट मामले सिर्फ देहरादून के हैं। साल ख्0क्ब् में पूरे प्रदेश में जहां दहेज उत्पीड़न के क्77 मामले दर्ज हुए, उनमें से 7भ् मामले देहरादून के थे। इस साल की बात की जाए अब तक इस तरह के क्9भ् मामले सामने आए हैं, जिनमें से क्0भ् मामले देहरादून के हैं। प्रदेश में कई जिले ऐसे भी हैं जहां दहेज उत्पीड़न का कोई भी मामला दर्ज नहीं हुआ। इनमें रुद्रप्रयाग, चंपावत और अल्मोड़ा शामिल हैं।

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ऐसा नहीं है कि दहेज उत्पीड़न से जुड़ा हर मामला गलत ही होता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में फर्जी शिकायत ही पाई गई है। ऐसे मामलों की प्रारंभिक जांच की जाती है और उसके बाद मामले को एक्सपंज कर दिया जाता है।

डा। सदानंद दाते, एसएसपी, देहरादून।

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आंकड़ों पर एक नजर

साल ख्0क्म् ख्0क्भ् ख्0क्ब्

दून में क्0भ् 8ख् म्ब्

प्रदेश में क्9भ् क्8म् क्77