बीजेपी ने उठाया यूपी से सटी उत्तराखंड के विधानसभाओं में फर्जी वोटरों का मुद्दा

- अपने ही पुराने वादे भूली बीजेपी

DEHRADUN:

चुनावी तैयारियों में जुटी बीजेपी ने सोमवार को फर्जी वोटों का राग अलापा। यूपी से सटी उत्तराखंड की विधानसभाओं में बोगस वोटरों के मुद्दे को पार्टी बगैर साक्ष्यों के सामने लाई। ये तो रहा तस्वीर का एक पहलु। दूसरे पहलु की बात करें, तो यूपी के पौड़ी जिले से सटे जिन सवा सौ से ज्यादा गांवों को उत्तराखंड में मिलाने पर पार्टी का जो सकारात्मक स्टैंड था, उसे अब बीजेपी पूरी तरह भूल गई है।

खबर-क्-

आयोग का दरवाजा खटखटाएगी बीजेपी

बीजेपी फ्क् विधानसभा सीटों में एक लाख से ज्यादा फर्जी वोटरों की मौजूदगी का आरोप लेकर सामने आई है। उत्तराखंड में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए प्रयासरत बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी ने इस मामले को उठाया है। बलूनी ने कहा है कि इस मामले को लेकर पार्टी राज्य और केंद्रीय निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटाएगी।

फर्जी वोटर होंगे सार्वजनिक

बलूनी ने प्रदेश हेडक्वॉर्टर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पार्टी की प्राइमरी रिसर्च में फर्जी वोटरों का मामला सामने आया है। तथ्य जुटाए जा रहे हैं और जल्द ही इन्हें सार्वजनिक किया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि ये फर्जी वोटर इस लिहाज से हैं कि इनकी मौजूदगी यूपी में भी है, तो उत्तराखंड में भी। इससे यहां के समीकरण और वातावरण दोनों पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हरीश रावत सरकार को भी इस गंभीर मामले पर ध्यान देना चाहिए।

खबर-ख्-

राज्य के सीमा विस्तार पर अब बात नहीं

बीजेपी ने राज्य सीमा विस्तार से जुड़ी अपनी बहुत पुरानी बात को स्मृतियों से शायद मिटा दिया है। यही कारण है कि बिजनौर यूपी के सवा सौ ऐसे गांवों के बारे में पार्टी अब कोई बात नहीं करना चाहती, जो कि उत्तराखंड का हिस्सा बनने के लिए बाकायदा आंदोलन छेडे़ हुए हैं।

कांग्रेस के पूर्व नेता और अब बीजेपी में शामिल डा। हरक सिंह रावत इसके लिए विधानसभा में निजी बिल लेकर आए थे। तत्कालीन सीएम रमेश पोखरियाल निशंक ने इस मामले में सैद्धांतिक सहमति जताई थी। दरअसल, बिजनौर जिले के इन सवा सौ गांवों में रहने वाले ज्यादातर लोग उत्तराखंड मूल के हैं। इनके सारे संबंध उत्तराखंड से हैं। बिजली-पानी समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं के बेहतर इंतजाम के लिए वे उत्तराखंड से जुड़ना चाहते हैं। कोटद्वार सीट से चुनाव लड़ चुके पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी से आज जब इस संबंध में बात की गई, तो उन्होंने ये मसला पार्टी के एजेंडे में शामिल न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।