Football के लिए खास है Doon

दून में फुटबॉल की जमीन कोलकाता के बाद सबसे ज्यादा उपजाऊ रही है। यहां पचास साल पुराने फुटबॉल क्लब्स भी हैं तो कई इंटरनेशनल फुटबॉलर्स भी। दून का यूथ फुटबॉल को अपना प्रोफेशन बनाते रहा हैं, लेकिन वक्त बितने के साथ फुटबॉल से यूथ हटने लगा। इसके लिए कुछ हद तक खेल की राजनीति और क्लब्स का आर्थिक पक्ष मजबूत न होना भी था। लेकिन, अब इसके लिए भी कवायद शुरू हो गई है। दून के श्री देव इंस्टीट्यूट ऑफ एजूकेशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने विल्स यूथ क्लब के साथ करार किया है।

Institutes ने बढ़ाया हाथ

अब यह इंस्टीट्यूट क्लब की सभी इकोनॉमिकल नीड्स पूरी करेगा। फ्राइडे को इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर श्रीनिवास नौटियाल ने विल्स यूथ क्लब के मेंबर्स को जर्सी और किट डिस्ट्रीब्यूट किए। ईसी रोड स्थित एक होटल में ऑर्गनाइज प्रोग्राम में उन्होंने कहा कि फुटबॉल दून में काफी फेमस स्पोट्र्स है। हम काफी समय से दून के फुटबॉल के लिए कुछ बेहतर करना चाह रहे थे और जब मैंने अपने फ्रेंड्स से विल्स यूथ क्लब की शानदार परफॉर्मेंस के बारे में सुना तो हमने हाथ बढ़ाया। इसके साथ ही फुटबॉल को हाई लेवल पर ले जाने के लिए हमें प्लेयर्स के साथ खड़े होने की प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट विल्स यूथ क्लब की डिफरेंट फुटबॉल एक्टिविटीज में हेल्प करेगा।

मिलेगी oxygen

इस मौके पर डिस्ट्रिक्ट फुटबॉल एसोसिएशन के सचिव देवेंद्र बिष्ट ने कहा कि इंस्टीट्यूट की नई पहल से फुटबॉल के लिए ऑक्सीजन मिलने जैसा काम करेगी। फॉर्मर इंटरनेशल प्लेयर अमर बहादुर गुरुंग ने कहा कि इंस्टीट्यूट की इस कोशिश से दूसरे लोगों को भी इंस्पीरेशन मिलेगी। वह भी दूसरे क्लब्स के साथ हाथ मिलाएंगे। उन्होंने कहा कि फुटबॉल के फील्ड में यह दिन गोल्डन एरा की शुरुआत के रूप में जाना जाएगा। इस मौके पर विल्स यूथ क्लब के पे्रसीडेंट तेजेंद्र प्रसाद, सचिव रघुवीर बिष्ट, कार्यक्रम संयोजक नवीन कुमार सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

Website जुटाएगी sponsor

भारत की पहली सिटी फुटबॉल वेबसाइट www.doonfootball.com अब दून के अन्य क्लब्स के लिए भी स्पांसर तलाशने का काम करेगी। जल्द ही दून के दूसरे रीनाउंड एजूकेशनल इंस्टीट्यूट्स से इसके लिए बात की जाएगी। वेबसाइट के संयोजक राजेंद्र सिंह गुसाईं ने बताया फुटबॉल क्लब्स को आर्थिक संसाधनों की काफी जरूरत पड़ती है। संसाधनों के बिना प्लेयर्स के परफॉर्मेंस पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इस जरूरत को समझते हुए हमने कोशिशें शुरू कर दी हैं। यह एक आंदोलन की तरह है और जल्द ही इसके पॉजिटिव रिजल्ट्स दिखने शुरू हो जाएंगे।