-कांगे्रस के 'सेनापति' ने तख्ता पलट को फूंका है बिगुल

-सत्ता बचाने को साम-दाम दंड भेद का प्रयोग कर रहे सीएम हरीश रावत

-विरोधी खेमे में कूद चुके है कांगे्रस के नौ बागी विधायक

>DEHRADUN:

पिछले दो दिनों में कांगे्रस और भाजपा के बीच जो बवाल मचा है, वह उत्तराखंड की राजनीति का नया अध्याय लिख रहा है। जो हो रहा है उसे देख पुराने समय में सिंहासन के लिए तख्तापलट को होने वाली राजनीति की याद दिला रहा है। अब उत्तराखंड में कांगे्रस के सेनापति माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत अपने गुट के साथ विरोधी खेमे में कूद चुके हैं। इस कदम ने उत्तराखंड में कांगे्रस की नींव हिलाकर रख दी है। वहीं जनता सत्ता के लिए होनी वाली असली राजनीति का चेहरा देख रही है।

खुद को ताकतवर बनाने में बन बैठे विरोधी

उत्तराखंड कांगे्रस में सीएम हरीश रावत पिछले काफी समय से खुद को वन मैन आर्मी की तरह पेश कर रहे थे। फिर चाहे मंत्री हो या विधायक, सीएम जिस लकीर को खींच देते, उसे पार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। कांगे्रस का संगठन भी इस लकीर को लांघने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। वहीं लगातार बढ़ती हरीश रावत की यह ताकत ही विरोध का कारण बन गई।

बागियों को सता रहा था कद घटने का खतरा

सीएम हरीश रावत की ताकत के आगे कांगे्रस के दिग्गज माने जाने वाले नेताओं का कद लगातार घट रहा था। पार्टी में विजय बहुगुणा का कद घटा तो वहीं हरक सिंह रावत भी किनारे होते नजर आए। राजनीति असंतोष लगातार बढ़ रहा था। यही असंतोष अब ज्वालामुखी बनकर फूटा है, जिसने उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल ला दिया है।

साम-दाम दंड भेद की राजनीति

इस बवाल के बाद कांगे्रस और भाजपा ने साम दाम दंड भेद की राजनीति शुरू कर दी है। जहां सीएम हरीश रावत बागी हुए करीब पांच बागियों को वापस लाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं, वहीं भाजपा छह और कांगे्रसी विधायकों के बागी होने का दावा कर रही है। इसके लिए पूरी ताकत झोंक दी गई है। बीजेपी बागियों को लेकर पहले ही दिल्ली में डेरा डाल चुकी है। इस बीच कांगे्रसी दो विधायक पांच-पांच करोड़ का लालच बीजेपी द्वारा दिए जाने का दावा कर चुके हैं।

---------