केस नंबर वन

चमनपुरी निवासी रूपा गोयल को सुबह उठकर सबसे पहले यही समस्या सताती है कि घर में जो कूड़े का ढेर पड़ा हुआ है, उसे आज कहां डाला जाए। इनके इलाके में नगर निगम की गाडिय़ां महीने में सिर्फ दो-चार बार ही डोर टू डोर कलेक्शन के लिए आती हैं। इस कारण इनकी सिरदर्दी बढ़ गई है।

केस नंबर दो

वार्ड नंबर-22 में रहने वाली रागिनी सिंघल के घर में रोजाना कूड़ा फेंकने के लिए अलग-अलग मेंबर्स की ड्यूटी लगती है। इनके एरिया में भी निगम की गाडिय़ों ने कूड़ा उठाने के लिए आना लगभग बंद ही कर दिया है। हां, इतना जरूर है कि महीना खत्म होने से दो-चार दिन पहले गाडिय़ां जरूर आने लगती हैं।

केस नंबर तीन

महावीर सिंह रोज-रोज डीवीडब्ल्यूएम की गाडिय़ों का इंतजार कर-कर के थक गए थे। अब उन्होंने रोज की टेंशन से बचने के लिए कूड़ा उठाने के लिए प्राइवेट कूड़े वाले को ही रख लिया है।

इन मामलों को लेकर विवाद

नगर निगम और कंपनी के बीच दरअसल कुछ ही मुद्दों को लेकर लंबे अर्से से विवाद चल रहा है, जिसमें कंपोस्टिंग प्लांट, ट्रांसफर स्टेशन, वर्कशॉप के लिए जमीन उपलब्ध की मांग, बकाया भुगतान और टिपिंग फीस बढ़ाने की डिमांड्स प्रमुख हैं। गत 17 जनवरी को ही प्रमुख सचिव शहरी विकास एमएच खान ने निगम व कंपनी अधिकारी के साथ मीटिंग की थी। साथ ही मेयर ने भी विवाद सुलझाने के लिए अधिकारियों को 15 दिन का समय दिया था, लेकिन अभी तक इनके बीच के विवाद का कोई समाधान नहीं निकल पाया है।

निगम स्तर और कंपनी दोनों के बीच तालमेल का अभाव होने के कारण सिटी में सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। कंपनी के पास मैनपावर व इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी होने के कारण भी सभी वाड्र्स में नियमित रूप से सफाई नहीं हो पा रही है।

डा। विजेंद्र पाल सिंह, वार्ड-12

सिटी में पिछले तीन महीनों से सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। मेरा मानना है कि प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आम पब्लिक को परेशानी उठानी पड़ रही है।

अजय सिंघल, वार्ड-24

अधिकतर सभी नए वाड्र्स में सफाई व्यवस्था काफी बदहाल है। मेरे वार्ड-44 में भी लोगों की काफी शिकायतें आ रही हैं। सिटी में सफाई व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को जल्द से जल्द विवाद सुलझाना जरूरी है।

सतीश कश्यप, पार्षद

प्रशासनिक अधिकारियों को सरकार का गलत संरक्षण मिला हुआ है। बोर्ड स्तर से कोई प्रॉब्लम नहीं है। निगम और डीवीडब्ल्यूएम कंपनी के बीच चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों को 15 दिन का समय दिया गया था, लेकिन अभी कोई समाधान नहीं निकला है।

विनोद चमोली, मेयर