- शाम चार बजे तक करीब तीन लाख 92 हजार 82 श्रद्धालुओं ने किया गंगा स्नान

- कोरोना गाइडलाइन का हुआ पालन, चप्पे-चप्पे पर रही पुलिस की नजर

HARIDWAR: मौनी अमावस्या स्नान पर लाखों श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर आस्था की डुबकी लगाई। प्रशासन के मुताबिक शाम चार बजे तक करीब तीन लाख 92 हजार 82 श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। कोरोना संक्रमण को लेकर प्रशासनिक पाबंदियों और आरटीपीसीआर जांच की अनिवार्यता के साथ-साथ बुधवार रात हुई नहरबंदी को लेकर भीड़ के सीमित रहने की आशंका जताई जा रही थी। बावजूद इसके बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान को पहुंचे। स्नान को लेकर प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। मान्यता है कि इस दिन मौन रखकर व्रत का पालन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

गुरुवार को मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड समेत अन्य घाटों पर पहुंचना शुरू हो गया था। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार जिला प्रशासन ने कड़ी व्यवस्था कर रखी थी। कोरोना संक्रमण को लेकर प्रशासन की ओर से स्नान के लिए सुरक्षा और जांच के अतिरिक्त इंतजाम किए गए थे। सुरक्षा बढ़ाने के साथ ही यात्रियों के लिए गैंगवे प्लान (चक्रव्यूह) भी तैयार किया गया था। इसके चलते यात्रियों को पैदल चलकर लंबी दूरी जरूर तय करनी पड़ी, लेकिन व्यवस्थाएं पूरी तरह दुरुस्त रहीं। हरकी पैड़ी व अन्य स्थानों पर रेंडम चेकिंग की गई। सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की अनिवार्यता को लेकर पुलिस प्रशासन सजग दिखा। सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से भी श्रद्धालुओं पर नजर रखी जा रही थी। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पूरे दिन व्यवस्थाओं का जायजा लेते दिखाई दिए।

सिल्ट युक्त पानी से हुई दिक्कत

हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड समेत सभी स्नान घाटों पर सिल्ट युक्त पानी होने के कारण श्रद्धालुओं को स्नान के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ा। ाद्धालुओं को स्नान के दौरान डुबकी लगाने में भी परेशानी हुई। गंगा में सिल्ट की मात्रा अधिक होने के कारण बुधवार रात उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने भीमगोड़ा बैराज से नहर बंदी कर दी थी। रात करीब 10 बजे की गई नहरबंदी के कारण हरकी पैड़ी समेत सभी स्नान घाटों पर जल की मात्रा काफी कम हो गई और उसकी जगह सिल्ट ने ले ली। अचानक हुए इस घटनाक्रम के कारण मौनी अमावस्या स्नान की तैयारियों में लगे प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। मामले की गंभीरता और व्यवस्था को देखते हुए तड़के करीब तीन बजे यह तय हुआ कि चार घंटे की नहरबंदी रखने के बाद सुबह चार बजे हरकी पैड़ी क्षेत्र में पानी छोड़ा जाए। सुबह चार बजे पानी छोड़ने के बाद हरकी पैड़ी समेत क्षेत्र के सभी घाटों पर स्नान और आचमन के लिए पानी पहुंच गया। गंगा के पानी में सिल्ट की मात्रा कम करने के लिए टिहरी बांध प्रबंधन से भी बात की गई, पर वहां से हरिद्वार पानी पहुंचने में लगने वाले 12 से 14 घंटे के कारण यह विकल्प भी कारगर साबित नहीं हुआ। इसके बाद तय हुआ कि गंगा में जो पानी है, उसे ही सीमित मात्रा में नहर में छोड़ा जाए।