- बागी विधायक उमेश शर्मा ने हरीश रावत पर निकाली जमकर भड़ास

- कहा, भाजपा में अभी जाने का विचार नहीं, क्षेत्र की जनता तय करेगी राह

DEHRADUN: कई दिनों बाद दून लौटे कांग्रेस के बागी विधायक उमेश शर्मा काऊ ने पूर्व सीएम हरीश रावत पर जमकर प्रहार किए। कहा कि वे एक साल से घुटन महसूस कर रहे थे। इसीलिए कार्यकर्ताओं व समर्थकों की राय-शुमारी के बाद वे ऐसा कदम उठाने को मजबूर हुए। बागी विधायक उमेश शर्मा ने यह भी कहा कि उन पर हरीश रावत रायपुर के बजाय कैंट विस क्षेत्र से चुनाव लड़ाने को दबाव बना रहे थे, जबकि रायपुर में अपने चहेते को चुनाव लड़ाना चाह रहे थे।

क्या कहा विधायक ने, सुनिए

-हरीश रावत के अलावा भी कोई सीएम बना तो भी वापसी नहीं करेंगे, अब बहुत देर हो चुकी है।

-मैं और मेरे अलावा बाकी विधायक पिछले छह माह से घुटन महसूस करने लगे थे।

-चतुर्थ तल पर मुख्यमंत्री के समानांतर सीएम से पार्टी के कई विधायक नाराज चल रहे थे।

-इस बारे में अंबिका सोना, किशोर उपाध्याय से भी कहा गया, किसी ने नहीं सुनी।

-मुख्यमंत्री आर्थिक सहायता से अगर एक लाख की संस्तुति की जाती तो काट कर दो हजार हो जाती थी।

-रायपुर विधानसभा क्षेत्र में विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्रित्वकाल मे सबसे ज्यादा काम हुए।

-रायपुर क्षेत्र में जिन अधिकारियों व कर्मचारियों ने काम किए, पूर्व सीएम हरीश रावत ने उन्हें ईनाम के बजाय निलंबित कर दिया। भगवान ऊपर से देखेगा।

-हरीश रावत ने कांग्रेस को तोड़ने का काम किया।

-रायपुर मेरी कर्मभूमि है, जनता का प्यार मिला है।

-मैंने रायपुर से ख्ब् ग्राम प्रधान, ख्ख् बीडीसी मेंबर, तीन जिला पंचायत व एक ब्लॉक प्रमुख दिया है।

-कांग्रेस के जिन विधायकों ने यह हिम्मत दिखाई है, राज्य के हित में उत्तराखंड याद करेगा। जनता धन्यवाद देगी।

विधायक ने कहा मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली से उन्होंने क्ब् दिसंबर ख्0क्भ् को ही विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। इसकी वजह भी यही थी कि उनकी और बाकी विधायकों की कोई सुनवाई सरकार में नहीं होती थी।

भाजपा में जाने पर िवचार नहीं

भाजपा में जाने के विचार पर उन्होंने कहा कि मेरे साथ बाकी विधायक भी शहर से बाहर हैं। अभी भाजपा में जाने का कोई विचार नही है। समय आने पर सब साफ हो जाएगा। वैसे भी जो जनता कहेगी, वही करुंगा।

कार्यकर्ता व समर्थकों को भोज

अपने आवास पर विधायक उमेश शर्मा ने अपने कार्यकर्ताओं व समर्थकों के लिए भोज भी दिया। इस दौरान उन्होंने उनके द्वारा उठाए गए इस कदम को लेकर कार्यकर्ताओं की टोह भी ली। भोजन के बाद सभी कार्यकर्ता अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो गए।

पीडीएफ मंत्रियों को लेकर भी थ्ाी नाराजगी

विधायकों में पीडीएफ को लेकर भी नाराजगी थी। कह रहे थे कि अब पीडीएफ के मंत्रियों की जरूरत नहीं है, फिर भी हरीश रावत ने ध्यान नहीं दिया।