प्रोजेक्ट साइट चेंज होने के बाद भेजे गए प्रस्तावों पर केंद्र सुध लेने को तैयार नहीं

-बद्रीनाथ, रुद्रप्रयाग और कर्णप्रयाग में पांच जगह होना था गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए काम

-साल भर पहले भेजी गई नई डीपीआर पर केंद्र सरकार की तरफ से नहीं आया है अभी कोई भी जवाब

DEHRADUN: निर्मल गंगा को लेकर चारों तरफ शोर है। अलग महकमा काम करने लगा है, मगर लचर सिस्टम का आप क्या करेंगे। उत्तराखंड के पांच स्थानों पर स्वच्छ गंगा के लिए जो प्रोजेक्ट मंजूर हुए थे, आपदा का कहर ख्0क्ख् में उन पर ऐसा टूटा कि काम शुरू ही नहीं हो पाए। साइट चेंज करते हुए केंद्र सरकार को नई डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेजी गई, तो वह दिल्ली में जाकर मानो गुम हो गई हो। उत्तराखंड इन पर हरी झंडी का इंतजार कर रहा है।

मंजूरी का इंतजार

ऐसा नहीं हैं, कि आपदा की मार वाले इन पांच स्थानों पर नई डीपीआर हाल-फिलहाल ही केंद्र को भेजी गई हो। नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी की स्टेट ग्रुप की ओर से ज्यादातर डीपीआर एक साल पहले केंद्र को भेज दी गई हैं, मगर इन पर मंजूरी नहीं मिली है।

ख्0क्फ् से पहले के मंजूर प्रोजेक्ट

-बद्रीनाथ में चार करोड़ म्ख् लाख, कर्णप्रयाग में दो जगह आठ करोड़ 8क् लाख, रुद्रप्रयाग में क्ख् करोड़ म्क् लाख के बजट से गंगा में हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए काम होना था। आपदा के कारण इनकी साइट ध्वस्त हो गई और सारे प्रोजेक्ट रद्द करने पडे़।

नए प्रोजेक्ट, जिन्हें मिलनी है मंजूरी

-बद्रीनाथ में ख्क् करोड़, कर्णप्रयाग में दो जगह सात करोड़ म्9 लाख और रुद्रप्रयाग में दो जगह आठ करोड़ ब्क् लाख की लागत से निर्मल गंगा सुनिश्चित करने के लिए डीपीआर बनाकर भेजी गई है। इन पांचों स्थानों पर ख्क् गंदे नाले गंगा में गिरकर उसे प्रदूषित करते हैं।

कोट---

-ये सच्चाई है कि जब से अलग गंगा मंत्रालय बना है, तब से जितनी भी डीपीआर उत्तराखंड से केंद्र में भेजी गई है, उनमें से एक में भी स्वीकृति नहीं मिल पाई है। उत्तराखंड कई बार अपना पक्ष केंद्र के सामने रख चुका है। कई मीटिंग भी हुई हैं, मगर फिर भी इन्हें मंजूरी नहीं मिल पाई है।

-अरविंद सिंह हयांकी, सचिव, पेयजल, उत्तराखंड।

तलाशे जा रहे हैं सियासी मायने भी

निर्मल गंगा के लिए बजट आवंटन में देरी के सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं। केंद्र और राज्य में परस्पर विरोधी सरकार होने के कारण भी इस मामले में दिक्कत पेश आ रही है। बीजेपी की केंद्र सरकार गंगा स्वच्छता के अपने ड्रीम प्रोजेक्ट का श्रेय किसी भी कीमत पर राज्य की हरीश रावत सरकार के हिस्से नहीं जाने देना चाहती। इसलिए बजट आवंटन के लिए मौके का इंतजार किया जा रहा है।