देहरादून ब्यूरो। बताया जाता है कि दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए आशारोड़ी और मोहंड में लगभग 22000 पेड़ काटे जा रहे हैं। पिछले दिनों आशारोड़ी में पेड़ों का कटान शुरू होने के साथ ही देहरादून के लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। दून की सामाजिक संस्थाएं हर रोज यहां जंगलों पर नजर रखे हुए हैं। विरोध प्रदर्शन के बाद से आशारोड़ी में नए पेड़ काटने का सिलसिला थमा है, लेकिन भविष्य में सभी पेड़ काटे जाने की संभावना को देखते हुए लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है।

दर्जनभर संस्थाएं हुईं शामिल
संडे को किए गए प्रदर्शन में इस विरोध की अगुवाई कर रहे देहरादून की संस्था सिटीजन फॉर ग्रीन देहरादून के अलावा उत्तराखंड महिला मोर्चा, एसएफआई, हिंद स्वराज, द अर्थ एंड क्लाइमेट चेंज इनीशिएटिव, आगास, पराशक्ति, अखिल गढ़वाल सभा, राज्य आंदोलनकारी मंच, प्रमुख आदि संस्थाओं ने हिस्सा लिया।

गीतों व नाटक से विरोध
प्रदर्शनकारियों ने हाथों में जंगल काटने के विरोध वाली तख्तियां ली हुई थी। वे लगातार नारेबाजी कर रहे थे और जनगीत गा रहे थे। प्रदर्शन के दौरान जनरंग और एसएफआई की ओर से नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जंगल बचाने और धरती की सुरक्षा करने का संदेश दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने जंगलों को बचाने और जरूरत से ज्यादा प्रकृति का दोहन न करने का संकल्प भी लिया।

यह लोग हुए शामिल
प्रदर्शन में प्रो। रवि चोपड़ा, हिमांशु अरोड़ा, कमला पंत, निर्मला बिष्ट, इरा चौहान, जयदीप सकलानी, दीपा कौशलम, भावना, डॉ। आंचल शर्मा, जगदंबा प्रसाद मैठाणी, रुचा सिंह, जया सिंह, गुणानंद जखमोला, ज्योत्सना पंवार, हिमांशु चौहान, शैलेंद्र परमार, सत्यम, मनोज कुंवर, प्रकाश नेगी, रिद्धि, वर्षा सिंह, मनोज ध्यानी सहित सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।