- शातिर हुए लुटेरे, चोरी के वाहनों से कर रहे लूट

- सर्विलांस से बचने के लिए नहीं कर रहे मोबाइल का यूज

- ऐसे में पुलिस अब वापस लौटी बेसिक्स पर

देहरादून,

दून में लूट और डकैती जैसे वारदातों को अंजाम देने वाले शातिर बदमाश अब मोबाइल का यूज करने से बच रहे हैं, ताकि पुलिस उनकी लोकेशन ट्रेस न कर पाए। इतना ही नहीं वारदात में चोरी की या नंबर प्लेट बदलकर गाडि़यों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वारदात के बाद इन गाडि़यों को लावारिस छोड़ दिया जाता है ताकि सीसीटीवी फुटेज में भी पुलिस बदमाशों को ट्रेस न कर पाए। ऐसे में बड़ी वारदातों को डिस्क्लोज करने के लिए अब पुलिस मैनुअल थ्योरी पर काम कर रही है।

केस 1-

250 बदमाशों की खंगालनी पड़ी कुंडली

22 सितंबर को पटेलनगर थाना इलाके में सराफा व्यापारी से हुई लूट के मामले में पुलिस ने बुलंदशहर और दिल्ली से दो शातिर बदमाशों को दबोचा है। संदिग्धों की तलाश में मोबाइल लोकेशन की वजह से पुलिस कन्फ्यूज रही। शातिर बदमाशों ने वारदात के समय मोबाइल का यूज नहीं किया, वे मोबाइल घर छोड़ आए। ताकि वारदात के दिन उनकी लोकेशन घर पर ही मिले और पुलिस चकरा जाए। हुआ भी ऐसा ही। वारदात में यूज्ड बाइक भी चोरी की थी, जिस तक पहुंचना पुलिस के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हुआ। हालांकि पुलिस अपनी मैनुअल थ्योरी पर वर्कआउट कर बदमाशों का हुलिया पहचान चुकी थी। इसके बाद सीसीटीवी के अलावा दून पुलिस ने ज्यादातर मैनुअल थ्योरी पर ही वर्कआउट किया। पुलिस ने इस तरह की लूट की वारदात को अंजाम देने वाले करीब 250 बदमाशों की कुंडली खंगाली, उनकी वर्तमान लोकेशन पर काम किया और 10 दिन के अंदर ही बदमाशों को दबोच लिया।

केस 2-

मैनुअल थ्योरी से करोड़ों की डकैती का खुलासा

अब तक की सबसे बड़ी करोड़ों की डकैती का खुलासा भी डीआईजी अरुण मोहन जोशी के नेतृत्व में दून पुलिस के लिए बड़ा चैलेंज था। सितंबर 2019 में अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी के मालिक आरपी ईश्वरन के घर हुई करोड़ों की डकैती के केस में भी बदमाशों ने मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया था। साथ ही बदमाशों ने वारदात को अंजाम देने के लिए कार का इस्तेमाल किया था, जिसकी नंबर प्लेट बदल दी गई थी। वारदात का खुलासा करने में जुटी राजपुर पुलिस की टीम ने एसपी सिटी श्वेता चौबे की अगुआई में मसूरी डायवर्जन से लेकर राजपुर रोड और आशारोड़ी चेकपोस्ट तक के 150 से अधिक कैमरों की फुटेज खंगाली। इस दौरान 21 गाडि़यों के पंजीकरण नंबर मिले थे। इसमें से एक कार पर पुलिस की नजर टिकी, लेकिन कई सारे सवालों के जवाब ढूंढने में पुलिस भी चकरा गई। पुलिस को अहसास हो गया कि बदमाशों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर पूरी तरह होमवर्क करते हुए इलेक्ट्रानिक सर्विलांस सिस्टम से बचने की भरपूर कोशिश की। लिहाजा पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों, कॉल डिटेल रिकॉर्ड समेत उन तमाम तकनीकी पहलुओं पर काम करने के साथ मैनुअली थ्योरी पर वर्कआउट किया। इसमें पुलिस को कुछ ऐसे क्लू मिले जिससे न सिर्फ पुलिस का काम आसान हुआ, बल्कि बदमाशों की पहचान भी हो गई। बाद में मामले का खुलासा हो गया।

केस 3-

सब कुछ था फर्जी, पुलिस ने निकाला तोड़

अक्टूबर 2019 में भी मसूरी रोड पर एसबीआई का एटीएम काटकर 15 लाख उड़ाने वाले गैंग को पकड़ने में भी पुलिस को मैनुअल थ्योरी पर ही काम करना पड़ा था। इस वारदात में भी बदमाशों ने नहीं मोबाइल का इस्तेमाल किया और नहीं गाड़ी की सही नंबर प्लेट यूज की। शातिर बदमाशों ने दून की एक स्विफ्ट डिजायर कार के मालिक के बारे में जानकारी जुटाने के बाद घटना के लिए फर्जी नंबर प्लेट तैयार कराई थी। इसी वजह से वह पुलिस को मात देने में कामयाब हो गए। हालांकि बाद में पुलिस मैनुअल थ्योरी पर काम कर बदमाशों तक पहुंची। शातिर बदमाशों ने दीवाली की रात डीआईटी कॉलेज के पास एसबीआई की एटीएम मशीन को काटकर करीब 15 लाख की राशि उड़ा ली थी। पुलिस की जांच में एटीएम मशीन को गैस कटर से काटने की बात सामने आई। पुलिस ने जब जांच शुरू की तो सीसीटीवी फुटेज की जांच में स्विफ्ट डिजायर कार की मौजूदगी सामने आई। इसी आधार पर जांच को आगे बढ़ाया गया तो पता चला कि इस कार की चेकिंग उसी रात आशारोड़ी पुलिस चौकी पर हुई थी। डॉक्यूमेंट उपलब्ध न कराने पर पुलिस ने चालक का आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस कब्जे में ले लिया था। डीएल मथुरा के शेरगढ़ निवासी अकरम का था, जबकि कार मथुरा के शेरगढ़ निवासी अकरम के नाम रजिस्टर्ड था। वहीं पहचान पत्र आमीन के नाम था। जब पुलिस टीम को मथुरा जांच के लिए भेजा गया तो पता चला कि अकरम घटना की रात गांव में ही था, जबकि उसका छोटा भाई आमीन कार लेकर दून आया था। इसी आधार पर बदमाशों को दबोचा गया।

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इस तरह की वारदातों में पुलिस हर एंगल से जांच करती है। जिससे कहीं न कहीं से कुछ लीड मिलने की उम्मीद होती है। जो मेहनत लगती है, उसका अंदाजा लगाना आसान नहीं है। सराफा व्यापारी से लूट के मामले में भी पुलिस ने कई टीमों के जरिए मैनुअल थ्योरी पर काम किया, जिसका परिणाम सामने हैं। हमारी टीम ने पूरे जूनुन के साथ वर्कआउट किया है। एक-एक व्यक्ति के बारे में छोटी-छोटी जानकारी जुटाई गई।

अरुण मोहन जोशी, डीआईजी

नईम-फैजल की तलाश में दिल्ली-वेस्ट यूपी में दबिश

सराफ लूटकांड में दो बदमाशों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उनके दो अन्य साथियों नईम और फैजल की तलाश तेज कर दी है। शनिवार को उनकी तलाश में दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दबिश जारी रही। इसके अलावा पुलिस की टीमें सहारनपुर और मुजफ्फरनगर में आरोपितों के घर के आसपास भी नजर रखे हुए हैं। डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि दोनों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसी 22 सितंबर को पटेलनगर क्षेत्र में कारगी रोड पर ब्लेसिंग फार्म के पास सराफ शफीक उर रहमान के पैर में गोली मारकर बाइक सवार बदमाशों ने उनसे सोना और नकदी लूट ली थी। इस वारदात को राहुल शर्मा उर्फ राहुल पंडित निवासी बुलंदशहर, नदीम निवासी बुलंदशहर, नईम निवासी सहारनपुर और फैजल चौधरी निवासी मुजफ्फरनगर ने अंजाम दिया था। नौ दिन की मशक्कत के बाद पुलिस ने राहुल और नदीम को गिरफ्तार कर शुक्रवार को इस वारदात का पर्दाफाश कर दिया था। हालांकि, नईम और फैजल अभी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े हैं। पुलिस के अनुसार नईम ने ही शफीक उर रहमान के बारे में सारी जानकारी जुटाई थी और घटना को अंजाम देने में वही राहुल के साथ था। राहुल ने नईम को इसलिए साथ रखा था, क्योंकि उसे देहरादून के हर गली-मोहल्ले की जानकारी है। यही वजह रही कि घटना की रात तगड़ी चे¨कग के बाद भी राहुल और नईम पुलिस के हाथ नहीं आए।